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मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफजल गुरु को करेंगे: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 'वंदे मातरम' कहने में आपत्ति को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने सवाल किया कि अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफजल गुरु को सलाम करेंगे?

Bhasha

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 'वंदे मातरम' कहने में आपत्ति को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने सवाल किया कि अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफजल गुरु को सलाम करेंगे? नायडू ने सवाल किया, 'वंदे मातरम माने मां तुझे सलाम. क्या समस्या है? अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफजल गुरु को सलाम करेंगे?' नायडू विश्व हिंदू परिषद पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल की पुस्तक के विमोचन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे.

उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रवाद को परिभाषित करने का प्रयास करने वाले लोगों का उल्लेख करते हुए कहा कि वंदे मातरम का मतलब मां की प्रशंसा करना होता है. उन्होंने कहा कि जब कोई कहता है 'भारत माता की जय' वह केवल किसी तस्वीर में किसी देवी के बारे में नहीं है. 'इस देश में रह रहे 125 करोड़ लोग, उनकी जाति, रंग, पंथ या धर्म कुछ भी हो. वे सभी भारतीय हैं.'


हिंदुत्व पर उच्चतम न्यायालय के 1995 के फैसले का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि धर्म केवल जीवन जीने का एक तरीका है. बकौल नायडू हिंदुत्व भारत की संस्कृति और परंपरा है जो विभिन्न पीढ़ियों से गुजरा है. उपासना के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं लेकिन जीवन जीने का एक ही तरीका है और वह है हिंदुत्व. नायडू ने कहा कि हमारी संस्कृति ‘वासुधैव कुटुम्बकम’ सिखाती है जिसका मतलब है कि विश्व एक परिवार है.