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योग में है दम, इससे बनारस में जुर्म होगा कम!

वाराणसी में पुलिस अब योग के जरिए अपराध को कम करने की कोशिश में है

Faisal Fareed

हर तरफ योग का हल्ला है और उसके प्रचार-प्रसार के लिए इसके किस्म-किस्म के फायदे बताए जा रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी वजह से अपराध भी कम हो जाते हैं. वाकई उत्तर प्रदेश के बनारस के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) आशीष तिवारी ऐसा ही मानते हैं.

आशीष तिवारी ने मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में स्थानीय पुलिस ने कम्युनिटी पोलिसिंग के जरिए गांव वालों को योग सिखाने का जिम्मा लिया है. उनका दावा है कि इससे अपराध में गिरावट आएगी. वैसे नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2015 वाराणसी में 2779 संज्ञेय अपराध हुए जिनमें 19 हत्या, 43 रेप, 129 अपहरण भी थे.


इस साल हो ये रहा है कि पुलिस वाले अपने अपने इलाकों के गांवों में जाएंगे और आम लोगों को योग सिखाएंगे. बनारस में लगभग 1000 गांव हैं और लगभग 65 % में योग की शुरुआत कर दी गई है.

पुलिस अधीक्षक ग्रामीण आशीष तिवारी, जिन्होंने यह योजना शुरू की है, का मानना है कि इससे कई फायदे मिल रहे हैं. जैसे योग सिखाने के बहाने कांस्टेबल को अब अपने अपने हलके के गांव में जाना पड़ेगा. इससे उनके ग्रामीणों से बेहतर संबंध बनेंगे. लोग पुलिस से डरेंगे नहीं.

तिवारी आगे कहते हैं आपसी विश्वास कायम होने पर पुलिस को सूचनाएं समय पर मिलने लगेंगी. समय पर जानकारी मिलने से बड़ी घटनाएं होने से रोकी जा सकेंगी. तिवारी के अनुसार अभी तक इसका अच्छा फीडबैक मिला हैं. समय पर सूचना से अपराध रोके जाएंगे.

इसके फायदे के रूप में बेहतर पुलिस-ग्रामीण संबंध, समय पर सटीक सूचना का मिलना और अपराधिक घटनाओं में गिरावट बताया गया हैं.

इस योजना के तहत बीट कांस्टेबल अपने अपने हलके में जन चौपाल लगाएंगे. वहां पर वो गांव वालो की एकत्र करके योग सिखाएंगे. कांस्टेबल को इसके लिए बाकायदा योग सिखाने की ट्रेनिंग दी जा रही हैं.

इस योजना को शुरू करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योग के प्रति झुकाव भी महत्वपूर्ण हैं. बनारस उनका क्षेत्र हैं इसीलिए इसको यहां स्थानीय पुलिस ने लागू किया हैं.

पुलिस के अनुसार पहले भी बीट कांस्टेबल को अपने क्षेत्र के गांव में जाना होता था और वापस आ कर सारी जानकारी बीट रजिस्टर में दर्ज करनी होती थी. ये सिस्टम नहीं चल पा रहा था. अब कांस्टेबल को जन चौपाल के माध्यम से योग की क्लास लेनी होगी. यही नहीं एक फोटो भी खींचनी होगी और अधिकारी उस फोटो से किसी भी व्यक्ति को बुलाकर पुष्टि कर सकते हैं.

आशीष तिवारी के अनुसार योग से स्वास्थ्य भी अच्छा होगा और साथ में जनता से संवाद भी बढ़ेगा.

यही नहीं पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने महिलाओं की अलग-अलग टोलियां भी बना दी हैं. इनको हरी और गुलाबी साड़ी के अलावा एक पहचान पत्र भी दिया गया है. ये महिलाएं शराब, नशा, जुआ, दहेज और अन्य सामाजिक कुरीतियों के बारे में पुलिस को समय-समय पर सचेत करती रहेंगी.

आशीष के अनुसार योग एक माध्यम है जिसके ज़रिये हम कम्युनिटी पुलिसिंग को फिर से पुनर्जीवित कर रहे हैं.