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दारुम उलूम का फतवाः इस्लाम में हराम है जीवन बीमा

फतवे में कहा गया है कि कोई भी बीमा कंपनी इंसान की जिंदगी नहीं बचाती. इसलिए सिर्फ अल्लाह पर भरोसा होना चाहिए

FP Staff

देवबंद ने एक बार फिर नया फतवा जारी किया है. उसके मुताबिक जीवन बीमा इस्लाम में हराम है. दारुम उलूम के फतवे का देवबंदी उलेमाओं ने समर्थन किया है.

फतवों की नगरी सहारनपुर के दारुल उलूम देवबंद के इस नए फतवे की चर्चा शुरू हो चुकी है. इसके मुताबिक संपत्ति और जीवन का बीमा करने और कराने को नाजायज बताया गया है.


इस फतवे में जान माल और संपत्ति का बीमा करना और कराना दोनों को इस्लाम की रोशनी में गैर शरई बताया गया है. फतवे में बीमा से मिलने वाला लाभ सूद की श्रेणी में आता है. इस लिहाज से उलेमा की राय में बीमे को नाजायज करार दिया गया.

दरअसल गाजियाबाद के व्यक्ति ने दारुल उलूम से यह फतवा लिया है. इतना ही नहीं फतवे में कहा गया है कि कोई भी बीमा कंपनी इंसान की जिंदगी नहीं बचाती. इसलिए सिर्फ अल्लाह पर भरोसा होना चाहिए.

इस्लाम ही लोगों के जान माल की सुरक्षा करती है 

बीमा कंपनी को जो भी पैसा मिलता है, वह उसे कारोबार में लगाती है और उसका मुनाफा बीमा धारकों में बांटा जाता है. लिहाज इस सूरतेहाल में जो भी रकम बीमे से मिलती है वो सूद पर आधारित होती है. और सूद इस्लाम में हराम है. इस फतवे का देवबंदी उलेमा ने समर्थन किया है.

देवबंद के ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयरमैन मुफ़्ती अरशद फारूकी ने कहा, 'जब इस्लामी हुकूमत होती थी तो वे लोगों की जान माल की हिफाजत करती थी. लेकिन अब इस्लामी हुकूमत नहीं है तो ये बिमा कंपनियां आ गईं.

ये लोगों को बीमा के नाम पर जान माल की सुरक्षा का भरोसा देती हैं. इसमें इस्लामी उलमा कहते हैं कि यह एक तरह का जुआ है और धोखाधड़ी. जुआ और धोखाधड़ी की बुनियाद पर जीवन बीमा या प्रॉपर्टी के बीमा को नाजायज करार दिया है.'

(ईटीवी के लिए रजनीश दीक्षित की रिपोर्ट)