सोमवार को हुए भारत बंद के दौरान मुजफ्फरनगर में हिंसा और आगजनी की घटनाओं की प्रारंभिक जांच करने के बाद उत्तर प्रदेश डीजीपी मुख्यालय ने मंगलवार शाम को बयान जारी किया. मुख्यालय के बयान के मुताबिक, दलितों के इस प्रदर्शन में कुछ आपराधिक तत्व भी शामिल हो गए थे. मुजफ्फरनगर में भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति की जान भी चली गई थी. पुलिस ने बताया कि ऐसे तत्वों को वीडियो की मदद से पहचान लिया गया है और उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश जारी है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एडिशनल डीजीपी (कानून और व्यवस्था) आनंद कुमार ने बताया कि हम भारत बंद के दौरान राज्य में हुए हिंसा के पीछे साजिश की संभावना को इनकार नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पास इस बात का सबूत है कि मुजफ्फरनगर में आपराधिक मामलों वाले लोग और असामाजिक तत्व प्रदर्शनकारियों की भीड़ में शामिल हो गए और हिंसा को अंजाम दिया. वे न तो एससी थे और न ही एसटी.
उन्होंने कहा कि हम घटना की वीडियो को स्कैन कर, जो लोग इसमें शामिल थे उनकी पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं.
बीएसपी के पूर्व विधायक योगेश वर्मा की गिरफ्तारी के एक दिन बाद पुलिस ने उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत होने का दावा किया. वर्मा की गिरफ्तारी मेरठ में हिंसा को भड़काने को लेकर हुई थी. वहीं योगेश वर्मा की पत्नी और मेरठ की मेयर सुनीता वर्मा ने कहा कि उनके पति निर्दोष हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार के कहने पर पुलिस ने उनके पति को गिरफ्तार किया है.
बीएसपी नेता योगेश वर्मा की गिरफ्तारी पर एडिशनल डीजीपी कुमार ने कहा कि पुलिस सबूतों के आधार पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. योगेश वर्मा को जब गिरफ्तार किया गया तब वह हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस इस मामले गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज करेगी.