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अयोध्या विवाद: SC में वकीलों के बीच तीखी बहस, 'नॉनसेंस' तक पहुंची दलील

वरिष्ठ वकील धवन ने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) को 'नॉनसेंस' तक कह दिया जिसका जवाब मनिंदर सिह ने उन्हें इसी रूप में दिया

FP Staff

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार दोपहर जोरदार दलील दी गई कि अयोध्या का भूमि विवाद संविधान पीठ को सौंप दिया जाए. इसके पीछे वजह बताई गई कि यह मुस्लिमों के बहुविवाह प्रथा से ज्यादा अहम है. इस पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद ही इसे संविधान पीठ को सौंपने पर फैसला लिया जाएगा.

एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से अुनरोध किया कि अयोध्या मामला बहुविवाह मामले से ज्यादा जरूरी है, इसलिए उसे संविधान पीठ के हवाले कर दिया जाए.


धवन ने बेंच से कहा, ‘अयोध्या भूमि विवाद मुस्लिम समुदाय के बहुविवाह प्रथा से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है और पूरा देश इसका जवाब चाहता है.’ हालांकि धवन की याचिका से सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं हुआ.

दरअसल, अयोध्या विवाद के मूल वादीकार ने एक याचिका में कहा था कि यह मुद्दा मुसलमानों में प्रचलित बहुविवाह प्रथा से ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिसके लिए एक संविधान बेंच बनाई गई है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने एम. सिद्दीकी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन को यह साफ कर दिया कि वह सभी पक्षों को सुनने के बाद ही इसे (अयोध्या भूमि विवाद) संविधान बेंच के पास भेजने पर फैसला करेगी.

सिद्दीकी बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि विवाद में मूल वादियों में से एक हैं. हालांकि, अब उनकी मौत हो चुकी है. इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल हैं.

सुनवाई के दौरान धवन ने बेंच से कहा, ‘आपने (सीजेआई) बहुविवाह खत्म करने के लिए याचिकाएं फौरन ही संविधान बेंच के पास भेज दिया लेकिन आप बाबरी मस्जिद मामले को संविधान पीठ के पास नहीं भेजना चाह रहे. क्या बहुविवाह मस्जिद में नमाज पढ़ने के अधिकार से ज्यादा अहम है.’

वहीं, हिंदू पक्षकारों की ओर से पेश पूर्व अटार्नी जनरल और वरिष्ठ वकील के. परासरन ने धवन की याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह फैसला करना सुप्रीम कोर्ट का अधिकार है कि मामले की सुनवाई कौन सी पीठ करेगी.

इस सुनवाई के दौरान धवन और अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह और तुषार मेहता के बीच तीखी बहस हो गई. धवन ने जोर से कहा, ‘बैठ जाइए, मि. मनिंदर सिंह.’ इस पर, एएसजी ने कहा कि ‘तमीज से पेश आइए, मि. धवन.’

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक धवन ने एएसजी को नॉनसेंस तक कह दिया जिसका जवाब मनिंदर सिह ने इसी रूप में दिया. उन्होंने धवन को कहा-'आप नॉनसेंस हैं और नॉनसेंस बातें कर रहे हैं.'

इन दोनों वकीलों की तीखी बहस जीफ जस्टिस दीपक मिश्रा चुपचाप सुनते रहे और अंत में धवन से कहा कि 'आप हमें संतुष्ट करें कि इस्माइल फारुख़ी केस को संविधान पीठ में क्यों भेजें? आप संविधान पीठ के सामने ही बहस करेंगे, यह कहने का कोई मतलब नहीं है.'

(इनपुट भाषा से)