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योगी का गड्ढामुक्त सड़कों का मिशन पूरा लेकिन बड़े गड्ढे हैं इस राह पर...

योगी के सौ दिन के रिपोर्ट-कार्ड में 60 हजार किमी सड़के हुईं गड्ढामुक्त

Kinshuk Praval

सड़कों के गड्ढे राजनीति का बड़ा हिस्सा रहे हैं. सरकारों की योजनाओं में सड़कों की बड़ी अहमियत है. सड़कें सियासत की दूरी तय करती हैं. यूपी-बिहार पर हमेशा ही खराब सड़कों के चलते सरकारों पर सवाल उठते आए हैं.

विकास का दावा करने वाली सरकार विकास की दौड़ गड्ढों वाली सड़क पर नहीं लगा सकती है. यही वजह है कि यूपी में 'सबका साथ सबका विकास' का नारा लगाने वाले सीएम योगी ने सबसे पहले सड़क को ही अपनी शुरुआत के लिए चुना. योगी ने एलान किया था कि 15 जून तक यूपी की सारी सड़कों के गड्ढे भर दिए जाएंगे.


15 जून तक की तय मियाद के बाद योगी सरकार ने दावा किया है कि यूपी की 63 फीसदी सड़कों के गड्ढे भर दिए गए हैं. 89 दिनों में योगी सरकार ने साठ हजार किलोमीटर सड़कों को गड्ढामुक्त करने का दावा किया है.

यूपी की सड़कों के गड्ढामुक्त होने का सवाल बरकरार

लेकिन सवाल ये है कि क्या यूपी की सड़कें वाकई गड्ढामुक्त हो गई हैं? आलोचनाओं के तराजू में सीधी सपाट सड़क को भी गड्ढों के वजन से तौला जा सकता है. योगी के एलान पर सवाल खड़े करने वालों के लिए पंद्रह जून की मियाद लंबे सवालों की सड़क तैयार कर सकती है.

कहने वाले कह सकते हैं कि सरकार अपने वादे को निभाने में फेल हुई है क्योंकि यूपी के कई शहरों में और गांवों में हाइवे पर गड्ढे दिखाई दे रहे हैं.

लेकिन 63 प्रतिशत की कामयाबी को ये आरोप और सवाल खारिज नहीं कर सकते.  खुद योगी सरकार भी जानती है कि जिस काम को अंजाम तक पहुंचाने का मिशन तय किया उसमें केवल उन्हें 63 फीसदी ही कामयाबी मिली है.

63 फीसदी सड़कों के गड्ढे भर गए

इसके पीछे सरकार का तर्क ये है कि उसके पास पैसा नहीं था. सरकारी खजाना खाली था. योगी सरकार ने यूपी की पिछली सरकारों के वक्त बने गड्ढों को भरा तो उनके कामों के गड्ढे भी खोदे.

योगी सरकार ने बताया कि उन्हें विरासत में यूपी में सड़कें नहीं गड्ढे मिले थे और बुआ-भतीजे यानी मायावती और अखिलेश की सरकारों के वक्त सड़कों का बेड़ागर्क हुआ है. इसके बावजूद योगी सरकार ने पहले ही दिन से गड्ढे भरने का काम शुरु किया जो 15 जून तक 63 फीसदी सड़कों के गड्ढे भर गए.

63 फीसदी काम को आंशिक सफलता के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. इसकी बड़ी वजह ये भी है कि योगी सरकार ने इस बड़े एलान के साथ ही उस सरकारी मशीनरी पर भरोसा किया जो कि बीएसपी और एसपी के कार्यकाल के वक्त एक दूसरी तरह की कार्यशैली की आदि थी.

राजा बदल जाता है लेकिन सेना वही  रहती है.  योगी सूबे के नए सीएम बने लेकिन उन्हें भी उसी मशीनरी से ही काम निकलवाना था जिस पर जंग लगी हुई थी.

जैसे-जैसे डेडलाइन नजदीक आई काम में भी तेजी बढ़ी

योगी की पंद्रह जून की तय मियाद ने अधिकारियों पर दबाव बढ़ाया. शुरुआत में इसे भी हल्के अंदाज में ही लिया गया. लेकिन जैसे-जैसे डेडलाइन नजदीक आने लगी तो काम में तेजी भी दिखाई देने लगी. रात-दिन गड्ढा भरने का काम किया गया. सौ दिन के भीतर हजारों किलोमीटर लंबी सड़कों का मेकअप किया गया.

पीडब्लूडी ने अपनी सड़कों का रोडमैप तैयार कर काम तेजी से बढ़ाया. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य लोक निर्माण विभाग के मंत्री भी हैं.

योगी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में पीडब्ल्यू की 2,25,825 किलोमीटर सड़कें हैं. इनमें से 85 हजार किलोमीटर सड़क गढ्ढों वाली थीं. जिसमें से करीब 75 हजार किलोमीटर सड़कों को गढ्ढा मुक्त हुईं तो पीडब्लूडी की 82 फीसदी सड़कों के गड्ढे भरे गए.

योगी की पहल से सुस्त पड़ी व्यवस्था में अचानक बदलाव आया और नतीजे के तौर पर 63 फीसदी सड़कों का गड्ढामुक्त होना सामने आया. कहा जा सकता है जो नहीं हो सका था वो कम-से-कम कुछ तो हुआ.

हालांकि कई विभाग ऐसे भी हैं जिनमें बिल्कुल भी काम नहीं हुआ. जबकि कई ऐसे विभाग हैं जिनमें गड्ढा मुक्त सड़कों का आंकड़ां बीस फीसदी तक भी नहीं पहुंच पाया. लेकिन इसके बावजूद  योगी सरकार को सौ प्रतिशत काम पूरा होने का भी वक्त दिया जाना चाहिए.

सरकार कह रही है कि बाकी गड्ढे बरसात के बाद भरे जाएंगे तो इंतजार बरसात के सीजन जाने का होना चाहिए.

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89 दिनों में 60 हजार किमी सड़कें गड्ढामुक्त करने का दावा

योगी आदित्यनाथ: तस्वीर एएनआई

60 हजार किलोमीटर सड़कें अगर गड्ढामुक्त हुई हैं तो इस योगी सरकार के सौ दिन के रिपोर्ट कार्ड के हिसाब से बुरा नहीं कहा जा सकता है.

24 जून को योगी सरकार के सौ दिन पूरे हो जाएंगे. योगी अपने सौ दिनों के कामकाज का हिसाब किताब पक्की सड़कों के जरिए पुख्ता रखना चाहते हैं.

योगी ये जानते हैं कि उनके एक एक एलान, वादे और आदेश का सियासत हर मोड़ पर इम्तिहान लेगी. इसके बावजूद वो अपने चुनावी वादों को बेहिचक आदेश में बदलने में देर नहीं कर रहे हैं.

योगी की स्टाइल ने सूबे की राजनीति में उनका कद और ऊंचा कर दिया है. योगी इस समय पीएम मोदी के बाद सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं. उनकी डिमांड यूपी से बाहर बिहार तक में है.

दरभंगा में उन्होंने रैली में नीतीश और लालू के गढ़ में ही उन्हें ललकारा. यहां खास बात ये थी कि यूपी में खुलेमंच से बोलने वाले योगी को बिहार में बुलेटप्रूफ शीशे के पीछे से अपना भाषण देना पड़ा है. इससे समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार योगी की सुरक्षा को लेकर कितना संवेदनशील है. योगी बीजेपी के लिए आने वाले समय के सबसे बड़े निवेश हैं.

योगी ये चाहते हैं कि बजाए उनके बल्कि खुद यूपी की जनता बोले कि यूपी में काम बोलता है. ऐसे में गड्ढा भरने की शुरुआत कर योगी ने बतौर सीएम अपने सफर के कई किलोमीटर जरूर तय कर लिए हैं.