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बिन बिजली मौजा ही मौजा: पावर कट में बड़ी पावर है भाई

बिजली की कटौती कोई संकट नहीं बल्कि इसके तमाम लाभ हैं.

Piyush Pandey

बड़े लोगों के दिल बड़े हों न हों बिल बड़े होते हैं. अब देखिए, मुलायम सिंह के घर का बिजली का बिल 4 लाख 10 हजार रुपए से ज्यादा आ गया. अपने घर का बिजली का बिल किसी महीने 400 रुपए भी ज्यादा आ जाए तो हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं. पूरा बिजली विभाग लीचड़ लगने लगता है. ऐसा लगता है मानो पूरा सिस्टम सिर्फ अपने को सताने में लग गया है. कुल मिलाकर बिजली के बिल में 400 रुपए की बढ़ोतरी 40000 वोल्ट का करंट देती है.

लेकिन मुलायम सिंह को अखिलेश के अलावा आज तक किसी ने झटका नहीं मारा. अखिलेश का करंट चार लाख वोल्ट से ज्यादा का है, जिसमें मुलायम-शिवपाल-अमर सिंह सब झुलस रहे हैं. खैर, अपने को क्या? अपन तो कल रात अपने घर के बढ़े बिल से परेशान होकर आध्यात्मिक चिंतन में जुटे थे कि बिजली चली गई.


अड़ोसियों-पड़ोसियों के खून में मिले वोडका को पीकर मच्छर पूरे रंग में थे. कूल-कूल कूलर को हाथ लगाने पहुंचा तो वो गर्म हो चुका था. नींद सैर पर निकल गई और बीती रात का सपना पूरा होने की अधूरी इच्छा लिए ही मर गया. पूरी रात घर में इधर-उधर घूमते हुए सुबह बिजली जब आई, तब तक अपन आध्यात्मिकता के चरम पर पहुंच चुके थे. और इस चरमावस्था पर अपने को समझ आया कि बिजली की कटौती कोई संकट नहीं बल्कि इसके तमाम लाभ हैं.

इस लाख टके के आध्यात्मिक बिजली चिंतन का संक्षिप्त सार पेश है:

सरकार भोली है और अपनी कार्यकुशलता और अच्छाइयों का डंका नहीं पीटती. यही वजह है कि बिजली कटौती के लाभ के अभी तक विज्ञापन नहीं प्रकाशित कराए गए. दरअसल, 24 घंटे में 22 घंटे बिजली कटौती रहती है, तो लोग सोते नहीं हैं. इस तरह चोर-लुटेरों की दुकान ठप हो जाती है और बिजली मुक्त होते हुए राज्य अपराधमुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ता है. उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों पर अंकुश के लिए यह अचूक उपाय है.

बिजली कटौती की वजह से लोग जागते हैं तो मच्छरों के आतंक का करारा जवाब देने में सक्षम रहते हैं. अपने हाथों से मच्छरों को धूल चटाकर वे साबित कर देते हैं कि इंसान हर हाल में मच्छरों पर भारी है. बिना कछुआ छाप और बगैर गुडनाइट के भी.

बिजली कटौती का एक बड़ा लाभ समाज को एकजुट करने में है. हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सभी एकजुट होकर बिजलीघरों पर तोड़फोड़ करते हैं. धर्मनिरपेक्ष हमला. एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए सामूहिक हमला. इस तोड़फोड़ से एक फायदा ये भी होता है कि बिजली परमानेंट चली जाती है और हफ्ते भर के लिए इंसान चैन की सांस लेता है कि अब तो बिजली नहीं ही आएगी.

बिजली न आने की वजह से लोग रात में घरों से बाहर निकलते हैं और होली मिलन समारोह की तर्ज पर गाली बको समारोह में हिस्सा लेता है. सरकार की भली नीयत देखिए कि हजार गालियां खाकर भी वो अपने महान उद्देश्य की पूर्ति में डटी रहती है.

बिजली कटौती का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इससे घटिया टीवी कार्यक्रम की लत से मुक्ति मिलती है. नौजवानों की फेसबुक-टि्वटर की लत छूटती है. अमेरिका में इंटरनेट और टीवी की लत छुड़ाने के लिए हज़ारों डॉलर खर्च करने पड़ते हैं. सरकार की कृपा से यूपी में यह सेवा फ्री है.

घर में चार एसी, दो फ्रीज, कूलर, वाशिंग मशीन, टेबलेट वगैरह सब रखे हैं और बिजली ना हो तो आध्यात्मिकता का भाव जागता है. इंसान समझ जाता है कि सब मोह माया है.

बिजली नहीं आती तो अमूमन बिजली का बिल भी नहीं आता. इस तरह गरीब जनता को आर्थिक लाभ भी पहुंचाया जाता है.

बिजली नहीं आती तो कटियाबाजों की कटिया बेकार हो जाती है, और इस तरह वे कानून को हाथ में लेने से बच जाते हैं.

दरअसल, बिजली कटौती को लोग सरकार की बदइंतजामी, नाकारापन, काहिली और भ्रष्टाचार वगैरह से जोड़कर देखते हैं, जो कि गलत है. बिजली कटौती के अनेक लाभ हैं-ये मैं समझा चुका हूं. मुझे उम्मीद है कि योगी जी भी इसे पढ़कर समझेंगे और मुझे यशभारती पुरस्कार से नवाजेंगे.