सनसनीखेज शुरुआत, हंगामाखेज दबिशों और ताबड़तोड़ विवादों से होते हुए रोमियो-खोजी महा मुहिम अब अपनी आत्मा टटोलने के पड़ाव पर पहुंच गई है. जिस सिंघम स्टाइल अभियान का मकसद योगी निजाम को शोहरत दिलाना हो, वह अगर बदनामी बटोरने लगे तो फिक्र होना लाजिमी है. सो कभी सियासी भैंस की खोज में चर्चित चुस्ती दिखा चुकी यूपी पुलिस खुद को जगाने की कवायद में जुटी है.
वह खुद को सुधारवादी प्रवचन देने में जुटी है! रोमियो की पावन उपाधि पाए शोहदों से निपटने के तौर-तरीकों की जग हंसाई से उसके कठोर दिल को ठेस पहुंचने लगी है.
हाल ही में 1090 वूमन हेल्पलाइन सर्विस के मुखिया नवनीत सिकेरा, जो आईजी दर्जे के कड़क अधिकारी हैं, उनकी अगुवाई में एंटी रोमियो दल के सदस्यों को जागरूकतावर्धक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन (पीपीटी) दिया गया. रोमियो-पकड़ पुलिस संदेहास्पद रोमियो से मनचाहा सवाल पूछने के पावर से लैस है. वहीं यह पीपीटी पुलिसकमिर्यों से सख्त ‘अनचाहा‘ सवाल पूछकर उनका आईक्यू टेस्ट लेता है.
मकसद है, पुलिस को इस कदर होशियार और संवेदनशील बनाना कि वह रोमियो और गैर-रोमियो, इश्क और शोहदागीरी, रोमांस और लफंगई के ऊपरी बारीक अंतर को समझ सके. पर पुलिस तो पुलिस है! उसके पूरी तरह न सुधरने की गाथाएं महाकाव्यात्मक विश्लेषण का विषय रही हैं. वह हमेशा गुंजाइश छोड़कर सुधरती है, इसलिए चूक की गुंजाइश बनी रहती है.
उपरोक्त पीपीटी पुलिस की पुलिसिया समझ की परख करते हुए उससे दस सवाल करता है. सात घंटे के इस दिमागी संशोधन सत्र में मैट्रिक के इम्तिहान की तरह वस्तुनिष्ठ सवाल पूछकर रोमियोखोजी पुलिस की समझ की परीक्षा ली गई. परीक्षा में कौन पास हुआ, कौन फेल यह तो पुलिस जाने, पर इतना तय है कि ऐसी कोई भी परीक्षा एक ही झटके में वर्दी वाले बाबुओं की सोच में बदलाव की क्रांतिकारी लहरें पैदा नहीं कर सकतीं. सो कुछ ‘बिन मांगे सलाह‘ की गुस्ताखी माफ! अपन चाहते हैं कि रोमियो-पकड़ पुलिस अपने चाल-चरित्र में व्यापक जनहित को शुमार करते हुए नीचे लिखे सलाहों को भी ध्यान में रखे.
रोमियो पर दबे पांव या चीता रफ्तार से दबिश देने वाली पुलिस इसका ख्याल रखे कि दोतरफा सहमति के प्यार और खालिस एकतरफा शोहदागीरी में फर्क है. आपसी सहमति से प्यार के सपने सजाने वाले दीवानों पर उसकी लंठई के कुख्यात डंडे न पड़े. वरना इश्क जानलेवा झमेला बनकर रह जाएगा.
पुलिस इसका ख्याल रखे कि कॉलेजों, स्कूलों, बाजारों, मॉल आदि के सामने खडे़ युवाओं की भीड़ में किसी लड़की का भाई, चाचा और दूसरे रिश्तेदार भी हो सकते हैं. हो सकता है कि कॉलेज या स्कूल की बिल्डिंग की ओर अटूट टकटकी लगाए युवक किसी लड़की का भाई हो सकता है, जो बहन को बाइक पर बिठाकर सुरक्षित घर छोड़ने के फर्ज को निभाने आया हो. इस भीड़ में कोई चाचा हो सकता है जिसे भतीजी को सुरक्षित घर पहुंचाने की फिक्र हो! कोई पति हो सकता है, जिसे पत्नी को सुरक्षित घर पहुंचाने की चिंता हो.
रोमियो-खोजी पुलिस की बेईमान मुस्तैदी की चपेट में ऐसा कोई फिक्रमंद भाई या चाचा उस तरह शर्मनाक फजीहत में न पड़ जाए जिस तरह रामपुर में एक चाचा-भतीजी को होना पड़ा. पवित्र से पवित्र मिशन में कमाई का विंडो तलाशने की आदि पुलिस ने दोनों को थाने में ले जाकर प्रेमी-प्रेमिका न होने के सबूत पेश करने को कहा ! परिवार वालों ने थाने में आकर दोनों के चाचा-भतीजी होने की लाख कसमें खाईं, सबूत दिये, पर पुलिस रोकड़ा बनाने से बाज नहीं आई. पांच हजार रुपए की शर्मनाक पुलिसिया वसूली का विडियो कैमरे में कैद कर इस आहत परिवार ने जब इसे वायरल किया तो पुलिस की कंजूस संवेदना जाग उठी. कुछ को सस्पेंशन का झटका देकर छोड़ दिया गया. ऐसे ही शर्मनाक हालात से एक भाई-बहन को भी गुजरना पड़ा, जब पुलिस ने उन्हें प्रेमी-प्रेमिका होने की बेहया और निर्लज्ज जिद पकड़ ली.
रोमियो-पकड़ पुलिस को क्राइम कंट्रोल पुलिसिंग और मोरल पुलिसिंग के फर्क को समझना होगा. वह गाय बचाओ भगवा मुहिम की तरह ‘रोमियो निपटाओ’ मुहिम नहीं चला सकती! क्राइम कंट्रोल पुलिसिंग कानून की बारीक संवेदना से चलती है, जबकि मोरल पुलिसिंग जज्बाती फैसले लेने की सनक से प्रेरित होती है. ऐसी पुलिस शिव सैनिक, गोरक्षक दल, बजरंग दल, विहिप, हिंदू वाहिनी स्टाइल में ताबड़तोड़ लप्पड़-थप्पड़ की बौछार नहीं कर सकती. उठक-बैठक कराकर, कान उमेठकर, कमर पर लात जमाकर अपनी बात नहीं मनवा सकती. उसे गंजा कर जलील करने का तालिबानी उपक्रम न रचे. पूछताछ से पहले ही झापड़ रसीद करने के हथकंडे से बाज आएगी. पुलिस लड़का-लड़की दोनों से फब्तियां कसते हुए पूछताछ की फिल्मी स्टाइल नहीं अपनाएगी. पुलिस वाले पूछताछ को अपनी दमित यौन कुंठा की तुष्टि का मौका नहीं बनाएंगे !
संदेहास्पद या उजागर रोमियो से पूछताछ के दौरान उनके अभिभावकों को बुलाकर उनके मान-सम्मान की वॉट न लगा दे. मां-बाप को जीवन भर का मजा न चखा दें. उन्हें चैनल वालों को बुलाकर न्यूज बनाने की धमकी न दें. तमाशबीन भीड़ के सामने अपमानित हो रहे मां-बाप का वीडियो बनाकर उन्हें लांछित न करे. वीडियो के वायरल होने की सूरत न पैदा कर दें.
उसकी मुस्तैदी उन मासूम प्रेम दीवानों की रक्षा को भी समर्पित हो जो सामाजिक मर्यादा और वसूलों के नाम पर प्यार के दुश्मनों की चपेट में आ जाते हैं. जिन्हें नैतिकता और मर्यादा के धंधेबाज दौड़ा-दौड़ाकर सबक सिखाते हैं.
एंटी रोमियो कानून पुलिस को रोमियो की काउंसिलिंग करने या उनके अपराधों की गंभीरता के मुताबिक उन पर मुकदमा दर्ज करने की छूट देता है. काउंसिलिंग की आड़ में पुलिस ‘मां-बहन एक करने’, बाल पकड़कर माथे की तेज परिक्रमा कराने, पीठ पर धौल जमाने, गाल पर पंजा छाप छोड़ने जैसे पारंपरिक पुलिसिया हथकंडों से बाज आएगी. वह सख्त धाराएं लगाने का जुगाड़ तलाशकर अवैध वसूली का चरम रोमांच नहीं बटोरेगी.
वर्दी पुलिस को सिर्फ रोमियो पकड़ने के फर्ज तक सीमित रहने का संदेश नहीं देती. वह जब नेता के चमचों को सब्जी वालों, खोमचे वालों, गुमटी वालों से वसूली का खौफनाक नजारा देखे तो उनकी अनदेखी कर आगे न बढ़ जाए. सियासी रसूख वाले किसी बलात्कारी, गुंडे, माफिया को सीना चौड़ाकर खुलेआम घूमते देखे तो कानून की महिमा दिखाते हुए उनकी खबर भी ले. वह किसी नेता के हाथों किसी संगीन अपराधी को सम्मानित होते देखे तो मंच से उसे खींचकर जिप्सी में बिठाकर ले जाने की जुर्रत भी करें.
वह इस मुहिम के पावन लक्ष्य को लव-जेहाद के सियासी एजेंडे से न जोड़े. वह कथित रोमियो को कम्युनल माइक्रोस्कोप से नहीं देखेगी. ऐसा कोई एजेंडा नहीं अपनाएगी, जिससे शोहदों की पहचान हिंदू या मुसलमान या ईसाई के आधार पर हो.
ऐसी पुलिस तमाम पुलिसिया सरोकारों से फारिग होकर सिर्फ शोहदा-पकड़ अभियान तक सीमित नहीं रहेगी. गुंडों, चोरों, लुटेरों, जेबकतरों, ठगों, मवालियों के सताए लोग जब उस तक मदद के लिए आए तो उन्हें मायूस होकर नहीं लौटना पड़े. पुलिस उन्हें अपनी रोमियोधर्मिता समझाकर पल्ला न झाड़ ले! आस-पास जब कहीं हत्या या लूटपाट हो रही हो तो वह रोमियो के पीछे फर्राटा लगाने के बजाए, इन संगीन वारदातों से फौरन निपटे. कोई तमंचा या चाकू लहराते दिखे तो फौरन उसे रोमियो-पटक स्टाइल में दबोच ले. गैंगवार या बलात्कार की खबर मिले तो बिना समय गवाए हरकत में आ जाए.
उफानी उम्मीदों की सवारी कर सत्ता में आए योगी कानून व्यवस्था के मोर्चे पर लंगड़ा साबित हो रहे हैं. उनकी कड़क मिजाजी से अपराधियों की धुकधुकी बंद नहीं हो रही है. निजाम और इंतजाम बदल जाने के बावजूद प्रदेश सरकार अपराधियों के सामने पस्त है. ऐसे में रोमियो तलाशती पुलिस से स्टंटबाजी छोड़कर 100 फीसदी समर्पित सेवा और सतर्कता की उम्मीद क्या बेमानी है ? सिर्फ पीपीटी प्रवचन नहीं, थोड़ी हमारी भी तो सुन लीजिए एंटी रोमियो दारोगा जी !