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योगी आदित्यनाथ पर नहीं चलेगा गोरखपुर दंगे का मुकदमा: यूपी सरकार

यूपी सरकार ने कहा है कि 2007 के गोरखपुर दंगों के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा नहीं चलेगा

FP Staff

यूपी सरकार ने कहा है कि 2007 के गोरखपुर दंगों के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा नहीं चलेगा.

यूपी सरकार के गृह विभाग ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. योगी आदित्यनाथ पर 2007 में गोरखपुर में हुए दंगों के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.


कोर्ट ने मांगा था सरकार का जबाब 

यूपी सरकार ने गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह बयान दिया हालांकि सरकार ने यह फैसला 3 मई को ही ले लिया था.. सरकार ने अपने बयान कहा कि फोरेंसिक जांच में यह पाया गया कि योगी आदित्यनाथ के भाषण के टेपों के साथ छेड़छाड़ हुई है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव को पिछले सप्ताह तलब किया था और गोरखपुर दंगें से जुड़े सभी दस्तावेजों को अदालत में लाने को कहा था, इस मामले में स्थानीय सांसद और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ आरोपी हैं.

जस्टिस रमेश सिंहा और उमेश चंद्र श्रीवास्तव की बेंच ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को 11 मई को अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा था. साथ ही उन व्यक्तियों के नाम मांगे थे जिनके खिलाफ इस मामले में मुकदमा चलाया जाना है.

सरकार के फैसले से कोर्ट नाखुश 

अदालत ने यह आदेश परवेज परवाज नाम के शख्स की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी थी. इससे पहले इस मामले की सीबीआई जांच करवाने संबंधी याचिका पर मार्च, 2017 में इलाहाबाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखा है.

हालांकि हाई कोर्ट ने सरकार के इस कदम पर नाखुशी जताई है. कोर्ट ने पिटीशनर को अपने आवेदन में बदलाव करने के लिए 10 दिन का समय दिया है ताकि पिटीशनर सरकार के इस फैसले को चुनौती दे सके. इस मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी.

2007 गोरखपुर दंगों के मामले में गोरखपुर के कैंट पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था, इस मामले का गवाह असद हयात भी इस मामले में याचिकाकर्ता है.

इससे पहले अदालत ने इस मुकदमे में सीएम योगी आदित्य नाथ पर मुकदमा चलाने की अनुमति ना देने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी.

क्या है मामला?

2007 की जनवरी महीने में ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दो समुदायों के बीच दंगा हुआ था. इस दंगे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.

पुलिस के मुताबिक ये विवाद मुहर्रम पर ताजिये के जुलूस के रास्ते को लेकर शुरू हुआ था.

इस मामले में तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्य नाथ, स्थानीय विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और उस समय शहर की मेयर रही अंजू चौधरी पर आरोप है कि इन लोगों ने पुलिस के मना करने के बावजूद रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था इसके बाद ये दंगा भड़का था.

यूपी क्राइम ब्रांच ने की है मामले की जांच 

दंगे के बाद योगी आदित्यनाथ के ऊपर कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. उन्हें गिरफ्तार करके जेल भी भेजा गया था.

इस केस को बाद में यूपी पुलिस के क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था. इसके बाद गोरखपुर के मेयर समेत कई आरोपियों ने इस जांच को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2013 में फिर से इस मामले की जांच शुरू हुई. अखिलेश सरकार ने योगी आदित्यनाथ के तथाकथित भड़काऊ भाषणों के टेप को फॉरेंसिक टेस्ट के लिए भेजा.

योगी आदित्यनाथ की आवाज का भाषण के  सैंपल से मिलान के बाद निचली अदालत में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की.

2010 में कुछ लोग इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट गए. तब यूपी पुलिस ने कहा था कि उन्हें मुकदमा चलाने की अभी इजाजत नहीं मिली है इस वजह से वे आरोपियों से पूछताछ शुरू नहीं कर पाए हैं.