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मुलायम तो नजीर हैं, बिजली की बेईमानी के तो करोड़ों वजीर हैं

बिजली इस्तेमाल में सर्वग्रासी बेईमानी की भारतीय गाथा दुनिया में बेमिसाल है

Tarun Kumar

देश के वीआईपी कल्चर से लालबत्तियों को विदा करने की चर्चित कवायद के बीच एक खबर विद्युत की गति से कौंधी कि उत्तर प्रदेश में दशकों तक सत्ता के सिरमौर रहे मुलायम सिंह से बिजली का बकाया बिल वसूलने के लिए योगी का हठयोगी वसूली दस्ता आ धमका.

इस तमतमाए हांफते मौसम में बेचैनी और अकुलाहट झेलते हर भारतीय का इस खबर से मुकम्मल दिली रिश्ता है. फिर भी मैं मानता हूं कि वीआईपी मुलायम से वसूली की इस खबर में खबरिया जायका ज्यादा है, क्योंकि सच यह है कि बिजली इस्तेमाल में सर्वग्रासी बेईमानी की भारतीय गाथा दुनिया में बेमिसाल है.


यह सच नहीं है कि ‘माले मुफ्त दिले बेरहम‘ और ‘मंगनी के चंदन लगाइब रघुनंदन’ जैसी कहावतों पर सौ फीसदी फिट इस मुल्क में बिजली गैर-जिम्मेदाराना और बेईमान इस्तेमाल की चीज बनकर रह गई है?

‘आम’ और ‘खास’ दोनों इस मामले में समान पायदान पर खड़े हैं. मुफ्तखोरी की हिंदुस्तानी कल्पना में बिजली लूट को अनमोल दर्जा हासिल है, क्योंकि समाज के सर्वहारा और सर्वशक्तिमान सभी समान समर्पण के साथ इसके मजे ले रहे हैं.

इवाटा तो हमेशा वीआईपी रहा है

अगर उप्र में सत्ता बदलाव नहीं होता तो मुलायम के इटावा राजप्रसाद की बिल बकाया कहानी मुर्दे की तरह दबी रहती. बिल भुगतान के लिए कुरेदने की जुर्रत करने वाला अधिकारी विद्युत वेग से ट्रांसफर का झटका खाकर दोयम दर्जे के किसी सुदूर महकमे में जा गिरता.

मुलायम के शाही समाजवाद को अपनी चारदीवारी में छुपाने वाले इस महल पर तय सीमा से आठ गुना अधिक बिजली इस्तेमाल का आरोप है. बिल भी कोई मामूली नहीं, बल्कि चार लाख रूपए का.

नेता भी कोई मामूली नहीं, बल्कि मुलायम सिंह यादव. रोमियो पकड़ मुहिम से खलबली मचाने वाली योगी सरकार को मुलायम से ज्यादा उपयोगी शिकार भला कौन मिलता.

योगी ने एक ही झटके में बिजली के बेईमान, गिरहकट और चोर उपभोक्ताओं को ‘सुधर जाओ’ का संदेश दिया है, वहीं वीआईपी कल्चर पर अचानक दबिश की मोदी की नवजात कोशिश में अपना उपयोगी योगदान दे दिया है. चढ़ते पारा के बीच लालबत्ती उतारने की फर्ज अदायगी में जुटी सरकार मुलायम की तरह कई और वीआईपी किलों पर दबिश देगी.

मुलायम तो सिर्फ बिल बकाया और ओवरलोडिंग के उस्ताद निकले, तो उनका सरकार पोषित वीआईपी इटावा तो बिजली चोरी में इंडिया चैंपियन! ऐशधर्मी समाजवादी सरकारी व्यवस्था में इटावा ने खूब चांदी काटी. बिजली महकमे की एक रिपोर्ट बताती है कि यहां का हर पांचवा बिजली उपभोक्ता बिल नहीं चुकाने की अपनी अखंड शपथ के प्रति ईमानदार है! वहीं बिजली चोरी यहां संवैधानिक हक और फर्ज की तरह लोगों की आदतों में धुल-मिल गई है!

मुलायम की बड़ी बहू डिंपल का संसदीय क्षेत्र कन्नौज तो इस मामले में इटावा का भी कान काट ले ! वहां उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग बिल बकाए और बिजली चोरी के परम सुख में सालों से डूबा है. वसूली के लिए गए अधिकारी दांत निपोरते बैरंग लौटते रहे हैं. और मौजूदा परम माननीय योगी जी का गोरखपुर?

यूपी में कौन शहर बचा है

बिजली चोरी और बकाए के गोरखधंधे में गोरखपुर भी किसी से कम नहीं. उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड की एक दयनीय-चिंतनीय रिपोर्ट बताती है कि गोरखपुर के कौरीराम डिविजन के 80 फीसदी बिजली उपभोक्ता बिना एक कौड़ी चुकाए कूलर, पंखे और एसी के मजे ले रहे हैं!

बिजली चोरी यहां की अव्वल सामूहिक संस्कृति है. ताज और कृष्ण की धरती आगरा, मथुरा में तो दक्षिणांचल डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी के अधिकारी बिजली चोरों और मोटी चमड़ी के बकायेदारों के सामने सालों से समर्पित भाव से नतमस्तक है!

यहां हर दूसरा उपभोक्ता बिजली चोरी में बेखौफ फर्ज के साथ तल्लीन है. प्रतिभावान बिजली चोरों की मेहनत से बिजली चोरी दर यहां 44 फीसदी के बिंदु पर पहुंच चुकी है.

उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़ या महाराष्ट्र तो बस नजीर है, हम तो बिजली चोरी में दुनिया के सुपर पावर और विश्व गुरू हैं!

एलएलसी के नाॅर्थइस्ट ग्रुप की ‘इमर्जिंग मार्केट्स स्मार्ट ग्रिड: आउटलुक 2015‘ अध्यन रिपोर्ट बिजली चुराने में हमारे निर्लज्ज दुस्साहस को बड़ी दिलेरी से आंकती है. पूरी दुनिया ने इस अवधि में 89.3 अरब डालर की बिजली चुराई, जिसमें हमारी भागीदारी 16.2 अरब डालर के साथ सर्वाधिक रही. कोशिश तो हमारे दोस्त ब्राजील और रूस ने भी की, पर हम उनसे कोसों आगे फर्राटा भरते निकल गए.

हमने अमेरिकी, चीन जैसे घोशित सुपर पावर को आस-पास भी फटकने नहीं दिया! अकेले हमारा महाराष्ट्र 2.8 अरब डालर की बिजली चुरा लेता है. रिपोर्ट बताती है कि भारत के कुछ राज्यों में बिजली चोरी की दर 50 फीसदी के गौरवशाली बिंदु पर पहुंच गई है.

दिल्ली भी पीछे नहीं है

सुधार का दंभ भरने वाली मोदी सरकार की सजग आंखों के सामने दिल्ली के बुराड़ी, नजफगढ़, वजीराबाद, जफराबाद, मुंडका, करावल नगर, जहांगीर पुरी, लक्ष्मीनगर, सीलमपुर, मंडावली आदि प्रतिभावान बिजली चोरों के गढ़ बन चुके हैं. रेवड़ी-बांट मिजाज की केजरी सरकार इस पर लोक मंगलकारी चुप्पी साधे हुए है, वहीं डिस्कम वाले बेबसी की झपकी लेने को मजबूर हैं.

बिजली चोरी-लूट की इस मजेदार जालिम व्यवस्था ने भारत को अपनी विख्यात जुगाड़ व्यवस्था की धार चोख करने का पूरा मौका दे रखा है. भारत कटिया फंसाकर दिनदहाड़े बिजली चोरी की ठाठ और ठसक से मीलों आगे निकल चुका है.

अगर बिजली चोरी प्रौद्योगिकियों की पेटेंट की कानूनी व्यवस्था हो तो हम इसमें सुपर पावर बन जाए. हमारा बस चले तो हम चीन, रूस, जापान की बिजली भी चुरा लें, बशर्ते कि ये देश हमारे पावर नेटवर्क से जुड़ने की कूटनीतिक जुर्रत दिखा दें!

मकड़ी के जाले जैसे सघन कटिया बुनकर बिजली खींचने की परंपरा से आगे हमने मीटर स्क्रीन में एसिड इंजेक्ट कर मीटर को विकलांग बनाने की विधि ईजाद की. कोई रेजिस्टेंट लगाकर मीटर को लूला बना रहा है तो किसी को पानी मिश्रित ग्लीसिरीन की मदद से मीटर का बुश बटन जाम करने की तरकीब पता है. जब भी सरकार ने बिजली चोरी की कारगर काट विकसित की, इस काट की जुगाड़ू काट भी समय रहते ईजाद कर ली गई.

इलेक्ट्रानिक मीटर को टैंपर रहित समझने वाली सरकार बार-बार हारती रही. बाजार में मीटर को पंगु बनाने वाले कारगर चुंबक, जैमर और स्पार्क गन धड़ल्ले से मिल रहे हैं. मीटर के अंदर चिप डालकर रिमोट से मीटर को गुलाम बना लेने, स्पार्क गन से मीटर को अधमरा करने और निरीक्षण दस्तते के धमकने से पहले मीटर को सक्रिय करने की जादूगरी चोरों ने बखूबी सीख ली. इस गोरखधंधे में बिजली विभाग के बाबू अपना पारंपरिक रोल पूरी भावनात्मक प्रतिबद्धता से निभा रहे हैं.

बिजली अनंत, चोरी अनंता

बिजली चोरी का यह अखंड सिलसिला लुटियन जोन व वर्ली से लेकर लोहरदगा और बुरहानपुर तक समान रूप से जिंदा है. सर्वहारा और शक्तिमान सभी इसमें किरदार हैं. अगर झुग्गी में रहने वाला सुखलाल दास मीटर छेड़ू हैं तो मुंबई के वर्ली के आलिशान स्टर्लिंग सीफेस अपार्टमेंट में रहने वाली पुरानी खूबसूरत अदाकारा रति अग्निहोत्री भला क्यों पीछे रहेंगी!

मैडम पर 2013 से लेकर अब तक करीब 49 लाख रुपए की बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज हुआ है! मीटर के साथ मनमाफिक छेड़छाड़ कर उन्होंने 177649 यूनिट बिजली की चोरी की! है न यह सिलसिला वर्ग-निरपेक्ष! इस अखिल भारतीय बिजली बहार युग में जो उपभोक्ता ईमानदारी से बिल चुकाता है, उसके दिल को कितने वाट के झटके लगते होंगे! कटिया फंसाओ, जैमर जुगाड़ो और ठंडे रहे!