उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि इस साल सख्ती के कारण बोर्ड की परीक्षाएं छोड़ने वाले 11 लाख छात्र-छात्राओं में दुबई, दोहा, कतर और नेपाल के ‘परीक्षार्थी‘ भी शामिल हैं. शर्मा के मुताबिक, इससे साफ है कि प्रदेश में नकल का कारोबार दूर तक फैला था.
शर्मा ने बताया कि इस साल बोर्ड परीक्षाओं के दौरान सरकार की जबरदस्त सख्ती के कारण लाखों छात्र-छात्राओं का परीक्षा छोड़ना खासा सुर्खियों में रहा. परीक्षा छोड़ने वालों के बारे में विश्लेषण करने पर कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.
उन्होंने हैरान करने वाला खुलासा करते हुए कहा कि इस साल यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडियट की परीक्षाओं में सख्ती के कारण इम्तहान छोड़ने वाले 11 लाख छात्र-छात्राओं में 75 प्रतिशत तादाद दूसरे राज्यों और देशों के लोगों की है. परीक्षा छोड़ने वालों में सऊदी अरब, दुबई, कतर, दोहा, नेपाल और बांग्लादेश के लोग भी शामिल हैं. इससे जाहिर होता है कि यूपी बोर्ड में नकल माफिया के तार कहां-कहां तक फैले हैं. सरकार इस नेटवर्क को तहस-नहस करेगी.
नकल माफिया का खेल खत्म करने के लिए STF, खुफिया तंत्र का इस्तेमाल
राज्य के माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा भी संभाल रहे डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि सरकार ने ठेका पर नकल से परीक्षा पास कराने वाले माफिया का खेल खत्म करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और खुफिया तंत्र का प्रभावी इस्तेमाल किया. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगाना जरूरी कर दिया है. इससे नकल पर रोक लगाने में बहुत मदद मिली है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 10 हजार से ज्यादा स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर 400 करोड़ रुपए से ज्यादा फंड जरूरत होगी. सरकार के पास इतना बजट नहीं है. ऐसे में यह तय किया गया कि जिन स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और जिनकी चाहरदीवारी दुरुस्त है, वहां जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं, केवल उन्हीं को परीक्षा सेंटर बनाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अगले साल बोर्ड परीक्षा के फार्म भरने वाले कक्षा 9 और कक्षा 11वीं के छात्रों के लिए आधार कार्ड से जोड़ना जरूरी बना दिया गया है. इससे उनकी पहचान करने और नकल रोकने में मदद मिलने की उम्मीद है.