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यूपी-बिहार के मजदूरों के गुजरात छोड़ने से उद्योग पर पड़ने लगा है असर

यूपी-बिहार के श्रमिकों पर हो रहे हमलों के कारण वे गुजरात छोड़ रहे हैं, त्योहार के मौसम से पहले इसका असर उद्योग जगत पर भी पड़ने लगा है

FP Staff

गुजरात से हिंदी भाषी राज्य के लोगों का पलायन जारी है. यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के लोग डर के कारण राज्य को छोड़ अपने घर वापस लौट रहे हैं. ये ज्यादातर वो लोग हैं जो गुजरात के कल-कारखानों में काम करते हैं. इन लोगों के राज्य छोड़ने के वहां के उद्योग पर भी असर पड़ना शुरू हो गया है.

प्रवासी श्रमिकों के पलायन से गुजरात की औद्योगिक इकाइयां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. इसके पीछे का कारण हैं इन इकाइयों का पूरी तरह से गुजरात के बाहर के श्रमिकों पर आश्रित होना. अब जब मजदूर पलायन कर रहे हैं तो इसका असर उत्पादन पर साफ दिखने लगा है. त्योहार के मौसम से पहले उत्पादन में 20 प्रतिशत की कमी आई है.


टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, साणंद इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत शाह ने कहा है कि यूपी-बिहार के 12 हजार से ज्यादा श्रमिक उत्तर गुजरात में काम करते हैं. इन लोगों ने राज्य छोड़ अपने घर को लौट गए हैं. केवल साणंद से 4000 प्रवासी श्रमिक हाल के कुछ दिन में अपने गृह राज्य लौट गए हैं.

हालांकि पूरे गुजरात में यह हाल नहीं है. बड़े औद्योगिक ठिकाने जैसे कि सूरत, कच्छ, मोरबी, जामनगर और राजकोट पर अभी इसका प्रभाव नहीं पड़ा है और यहां पर काम करने वाले मजदूर राज्य नहीं छोड़ रहे हैं. इन इलाकों में सरकार ने अतिरिक्त सुरक्षा भी मुहैया कराई है.

क्या था पूरा मामला?

गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में 28 सितंबर को 14 महीने की बच्ची के साथ रेप की घटना सामने आई थी. पुलिस ने फौरन कार्रवाई करते हुए रेप के आरोपी बिहार के रहने वाले रविंद्र साहू नाम को गिरफ्तार कर लिया था. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में उत्तर भारतीयों के प्रति गुस्सा भड़क उठा था. उन्होंने विशेषकर बिहार और यूपी से वहां काम करने गए लोगों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया. स्थानीय लोग उऩ्हें धमकी देने लगे जिसके बाद बिहार, यूपी और एमपी के लोग वहां से भागने को मजबूर हो गए.