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उन्नाव: पहले HIV और अब खुले में शौच रोकने से दूभर हुई जिंदगी

उन्नाव के बंगारमऊ गांव में एचआईवी से पीड़ित लोगों को अब खुले में शौच करने से रोका जा रहा है और उनके घरों में शौचालय नहीं है

FP Staff

भारत में अभी भी एचआईवी एड्स को लेकर लोगों की सोच कितनी संकीर्ण है, ये इस घटना से आसानी से समझा जा सकता है. अभी कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि उन्नाव के एक कस्बे में एक डॉक्टर के एक ही इंजेक्शन के इस्तेमाल करने की वजह से पचासों लोगों को एचआईवी हो गया था. एक डॉक्टर की वजह से एचआईवी से पीड़ित हुए लोगों की जिंदगी और मुश्किल होती जा रही है.

मिरर नाऊ की खबर के मुताबिक, उन्नाव के बंगारमऊ गांव में एचआईवी से पीड़ित लोगों को अब खुले में शौच करने से रोका जा रहा है और उनके घरों में शौचालय नहीं है. इस बीमारी के बाद अब उनके सामने ये एक और समस्या खड़ी हो गई है. और ये सब लोगों में एचआईवी की कम जानकारी होने के चलते हो रहा है. चूंकि खुले में शौच करने से एचआईवी नहीं फैलता, लेकिन लोगों की कम जानकारी इन पीड़ितों का जीना दूभर कर रही है.


54 साल के गंगादीन ने बताया कि वो गांव के बाहरी इलाके में अपने 4 बच्चों के साथ रहते हैं और अब उन्हें शौचालय की सच में काफी कमी महसूस हो रही है क्योंकि वो गांव के रसूखदार लोगों का विरोध बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे.

उन्होंने कहा कि हम खेतों का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे संक्रमण फैलेगा. एक अन्य पीड़ित भानू ने बताया कि 'गांव के धनी और रसूखदार लोगों ने अपने घरों में शौचालय बनवा लिया है, लेकिन हम गरीब लोग इसका खर्च नहीं उठा सकते.'

60 साल के एक और पीड़ित परमानंद ने कहा कि वो लोग अमीरों के विरोध पर न खेतों का इस्तेमाल कर पाते हैं न रेलवे ट्रैक्स का क्योंकि आरपीएफ वाले हमें पकड़ लेती है. लगता है कि शौचालय बस अमीरों के लिए है, हम गरीबों के लिए नहीं.

बता दें कि उन्नाव के राजेश गुप्ता नाम के नीम हकीम डॉक्टर ने एक ही सीरिंज से लगभग 49 लोगों को इंजेक्शन लगा दिया था, जिससे उनमें एचआईवी का वायरस फैल गया था.