देश में टीचिंग और रिसर्च के 20 बेहतरीन इंस्टीट्यूट खोजने के लिए एमपॉवर्ड एक्सपर्ट कमेटी (EEC) का गठन किया गया था. लेकिन ये कमेटी ऐसे इंस्टीट्यूट खोजने में नकाम रही है.
ईईसी ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि रिसर्च की गुणवत्ता से जुड़ी गतिविधियों में कमी के कारण वह ऐसे 20 इंस्टीट्यूट को खोज पाने में असफल है, जो 'इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस' का तमगा हासिल कर सकते हों.
न्यूज18 से बातचीत में ईईसी के प्रमुख और पूर्व चीफ इलेक्शन कमीशनर गोपालस्वामी ने कहा, 'ईईसी ने अपनी रिपोर्ट सबमिट कर दी है. हमसे 10 सरकारी और 10 प्राइवेट इंस्टीट्यूट को चुनने के लिए कहा गया था, जो 'इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस' का टैग हासिल कर सके, लेकिन हम ऐसे 20 संस्थान पाने में नाकाम रहे हैं.'
UGC ने की 6 नामों की घोषणा
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) ने सोमवार को 6 इंस्टीट्यूट के नामों की घोषणा की. इनमें 3 सरकारी और 3 प्राइवेट JIO इंस्टीट्यूट, BITS पिलानी, मनीपाल यूनिवर्सिटी, आईआईटी बॉम्बे और आईआईएससी बेंगलुरु और आईआईटी दिल्ली का नाम शामिल है. सरकारी 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस' को सरकार कई करोड़ का फंड देगी.
ईईसी के प्रमुख और पूर्व चीफ इलेक्शन कमीशनर गोपालस्वामी ने कहा कि आपने अच्छा रिसर्च किया हो, लेकिन क्या ये किसी के काम आ सकता है? क्या इस रिसर्च से किसी को फायदा होगा. कोई किसी भी सब्जेक्ट पर रिसर्च कर सकता है, लेकिन ये किसी के लिए फायदेमंद भी होना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि टीचर्स और स्टूडेंट्स के अनुपात में भी काफी अंतर था. अगर आपके यहां शिक्षकों के 100 पोस्ट में से 25 खाली हैं तो आपके शिक्षण की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है. गोपालास्वामी ने कहा आखिरकार विश्व रैंकिंग रिसर्च और टीचिंग की गुणवत्ता पर बहुत अधिक निर्भर करती है. भारत में शिक्षा के क्षेत्र में जुड़े लोग काफी जानकार हैं. और उन्हें इस मुद्दे के बारे में पता है लेकिन विभिन्न इंस्टीट्यूट का फोकस अलग हो सकता है.
योग्यता का मानदंड कहता है कि इंस्टीट्यूट को ऐसे कल्चर को प्रमोट करने के तौर पर जाना जाना चाहिए जिसमें वह समीक्षा जर्नल को नियमित पब्लिश करने और समाज के चिंताजनक मुद्दों को एकेडमिक रूप से उसमें शामिल करने को प्रोत्साहन देता हो.
(न्यूज 18 से साभार)