भारत ने ऐतिहासिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के प्रति बुधवार को अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि वह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए समझौते से ‘आगे और उससे कहीं ज्यादा काम’ करने का इच्छुक है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र ‘लीडरशिप समिट ऑन एनवायरमेंट पैक्ट’ के दौरान कहा कि भारत पर्यावरण और विकास पर चर्चा में सबसे आगे रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जून में पेरिस समझौते से अलग होने की घोषणा की थी जिसके बाद इस समझौते में अमेरिका की भूमिका पर अनिश्चितता के बीच सुषमा की यह टिप्पणी आई है. अमेरिका ने दलील दी थी कि इस समझौते में भारत और चीन जैसे देशों को अनुचित लाभ मिल रहा है.
दुनिया में कार्बन उत्सर्जित करने वाले तीसरे सबसे बड़े देश भारत ने दिसंबर 2015 में 190 से अधिक देशों के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसका लक्ष्य वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को रोकना और इसे दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की मेजबानी वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेते हुए स्वराज ने कहा कि भारत पेरिस समझौते से ‘आगे और उससे कहीं ज्यादा’ काम करने का इच्छुक है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर कहा, ‘पृथ्वी की ओर हमारी जिम्मेदारी को समझते हुए भारत जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेता है.’ उन्होंने कहा, ‘हमने इसका जिक्र भी किया है कि भारत और फ्रांस अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन पर मिलकर काम कर रहे हैं.’ दिन में सुषमा ने मैक्सिको, नॉर्वे और बेल्जियम के नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें की जिसमें मुख्य ध्यान द्विपक्षीय संबंधों पर रहा. उन्होंने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ से भी मुलाकात की.
कुमार ने कहा, ‘बेल्जियम की ओर से इस वर्ष भारत की उच्च स्तरीय यात्रा की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई.’ सुषमा का सान मारिनो, ब्राजील, मोरक्को, मॉल्डोवा के अपने समकक्षों और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से भी मुलाकात करने का कार्यक्रम है.
उनका जी-4 (ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान) और शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक समेत कई बैठकों में भाग लेने का भी कार्यक्रम है.