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कृषि आय पर टैक्स लगाने से क्यों डर रही है सरकार

वित्त मंत्री की बजट से सिर्फ देश के किसान और अमीरों को ही फायदा हुआ है

Sindhu Bhattacharya

केवल दो तरह के भारतीय जिनमें किसान और असल में अमीर लोग ही शायद वे लोग हैं जो वित्त-मंत्री अरुण जेटली को धन्यवाद कह रहे होंगे.

किसानों को एक बार फिर से टैक्स के जाल से मुक्ति मिल गई है. खेती-किसानी से होने वाली आमदनी को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है.


रईसों पर सरचार्ज की मार

रईस इनहेरीटेंसी टैक्स या किसी वेल्थ टैक्स चुकाने से बच गए हैं. हालांकि, 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच कमाने वालों पर अतिरिक्त सरचार्ज लगा दिया गया है. ज्यादा पैसे कमाने वालों के लिए यह थोड़ी मुश्किल की बात है.

देश की अर्थव्यवस्था के सबसे अहम घटक, मिडिल क्लास के लिए टैक्स प्रस्तावों में खुश होने जैसी कोई चीज नहीं है. आयकर में राहत, बेसिक एग्जेंप्शन जैसी कोई सौगात इन्हें इस बजट में नहीं मिली है.

5 लाख से ऊपर कमाई पर 20% टैक्स

एक टैक्स एक्सपर्ट ने तो यहां तक कहा, अब 5 लाख रुपये की इनकम पर 5 फीसदी का टैक्स स्लैब है और उसके बाद 5 से 10 लाख रुपये की इनकम के लिए यह टैक्स सीधा बढ़कर 20 फीसदी हो जाता है.

डेलॉयट, हस्किंस एंड सेल्स के पार्टनर होमी मिस्त्री ने कहा, ‘वित्त मंत्री को 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच कमाने वाले लोगों के लिए टैक्स रेट को कम करना चाहिए था’.

जेटली ने माना की देश की आबादी का एक छोटा हिस्सा ही टैक्स दे रहा है

वरिष्ठ और सैलरीड क्लास को जेटली के प्रस्तावों से एक तरह से कोई फायदा नहीं हुआ है. हालांकि, जेटली ने माना कि देश की आबादी का एक छोटा हिस्सा ही टैक्स देने के बोझ को उठा रहा है. जबकि बड़ी आबादी टैक्स दायरे से दूर बनी हुई है.

5 लाख से कम कमाई वालों को मामूली छूट

केवल ऐसे लोग जिनकी इनकम 5 लाख रुपये तक है, उन्हें कुछ राहत मिली है. हम में से ज्यादातर लोग इस बार टैक्स में बड़ी छूट मिलने की उम्मीद लगाए हुए थे. यह उम्मीद खत्म हो गई है.

इसके अलावा, जीएसटी की तलवार अभी हमारे सिरों पर लटक रही है. इस वित्त वर्ष के मध्य से जीएसटी लागू होने के बाद सर्विसेज और महंगी हो जाएंगी.

लोगों की मांग थी कि टैक्स छूट को बढ़ाया जाए.

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ऐसे में सैलरी पाने वाले लोगों की इस साल के बजट से क्या उम्मीदें थीं? 10 जनवरी को वित्त मंत्री ने एक ट्विटर पोल कराया, जिसमें लोगों से पूछा गया कि किन स्कीमों पर बजट में ज्यादा फोकस होना चाहिए.

करीब 7,500 लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी. अनूप राउत ने कहा, ‘इनकम टैक्स स्लैब को 5 लाख रुपये तक बढ़ा दीजिए. डिजिटल पेमेंट पर किसी भी तरह से सर्विस टैक्स को खत्म कर दीजिए’.

लोगों ने वित्त मंत्री से किसानों के लिए काम करने को कहा था

उमंग शाह ने कहा, ‘सबके लिए घर की स्कीम पर किसी भी दूसरी स्कीम के मुकाबले ज्यादा फोकस होना चाहिए. साथ ही इनकम टैक्स स्लैब को 5 लाख रुपये कर दिया जाना चाहिए.’

मिलिंद शाह ने कहा, ‘इंडिया इंक, स्टार्टअप वगैरह को काफी इनसेंटिव्स दिए जा चुके हैं. अब कृपया फिक्स्ड सैलरी क्लास, गरीबों और किसानों के लिए काम कीजिए.’

विभूति सिंह ने कहा, ‘इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव को लेकर हमें काफी उम्मीदें हैं.’

छूट की सलाह

टैक्स एक्सपर्ट्स ने भी छूट की सलाह दी थी

अरनेस्ट एंड यंग (ईवाई) में पार्टनर और इंडिया लीडर (मोबिलिटी), अमरपाल चड्ढा ने पहले कहा था कि, वित्त मंत्री को टैक्स एक्सपर्ट्स की ओर से बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट को 3.5 से 4 लाख रुपये करने के प्रस्ताव मिले हैं.

उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब है लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा’. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में 2.5 लाख रुपये की बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट बरकरार है. 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगता है. ऊंची बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट का मतलब होगा कम टैक्स पेमेंट.

खेतबाड़ी की कमाई टैक्स से बाहर क्यों?

वित्त मंत्री के बजट में सबसे परेशान करने वाली चीज कृषि से होने वाली आमदनी पर टैक्स नहीं लगाना है.

जैसा कि इस आर्टिकल में कहा गया है: 

सबसे बड़ा एग्जेंप्शन कृषि आय को मिलता है. यह प्रावधान सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल का शिकार हुआ है.

चूंकि, खेतीबाड़ी के उपकरणों की खरीद के ज्यादातर ट्रांजैक्शंस नकदी में होते हैं ऐसे में कृषि आमदनी को छिपाना काफी आसान हो जाता है.

ज्यादातर किसान गरीब होते हैं इसलिए उनपर टैक्स नहीं लगता

अमीर किसानों पर टैक्स लगाने में क्या दिक्कत है?

‘अगर सरकार पूरी तरह से ब्लैकमनी को खत्म करना चाहती है, तो क्या सबसे बड़ी खामी वाली जगह को छोड़ देना उचित होगा?’

कृषि आय पर टैक्स लगाने के खिलाफ सबसे बड़ा तर्क यह है कि ज्यादातर किसान गरीब हैं और कृषि से होने वाली कमाई अभी भी बड़े तौर पर मॉनसून और अन्य प्राकृतिक घटनाओं पर टिकी होती है.

हालांकि, किसी भी मामले में गरीब किसान को इनकम टैक्स नहीं चुकाना होगा, अगर उसकी नेट आमदनी टैक्सेबल लिमिट से कम है तो. लेकिन, अगर किसान अमीर हो रहे हैं तो उन्हें टैक्स दायरे से बाहर रखना कहां तक तर्कसंगत होगा.

जो लोग खेती को छोड़कर दूसरे मदों से पैसा कमा रहे हैं और अमीर हो रहे हैं उन्हें तो वित्त मंत्री टैक्स से छूट नहीं दे रहे हैं.

अमीरों पर 33.99 फीसदी टैक्स की चोट

पीडब्ल्यूसी की इशिता सेनगुप्ता ने कहा कि वित्त मंत्री के कर प्रस्तावों से सबसे बड़ी चोट अमीरों पर पड़ी है. उन्होंने कहा, ‘जिनकी आमदनी 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है, उन्हें सरचार्ज चुकाना पड़ेगा. कुछ साल पहले 1 करोड़ रुपये की कैटेगरी पर 33.99 फीसदी टैक्स लगा दिया गया था. अब यह 50 लाख रुपये से ऊपर की आमदनी से ही लागू हो जाएगा’.

मध्य वर्ग के लिए इस बजट में कुछ भी नकारात्मक नहीं है

बीएमआर एसोसिएट्स के लीडर डायरेक्ट टैक्स, गोकुल चौधरी ने कहा, ‘वित्त मंत्री यह भी संकेत दे रहे हैं कि अमीरों पर लगने वाला 30 फीसदी टैक्स स्लैब ज्यादा ऊंचा नहीं है क्योंकि दूसरे विकसित देशों में अमीरों पर कहीं ज्यादा टैक्स लगता है’.

4 लाख रुपये की कमाई पर बच सकते हैं टैक्स

लैडर 7 फाइनेंशियल एडवाइजरीज के फाउंडर सुरेश सदगोपन कहते हैं कि, ऐसे में अगर आप हर साल 5 लाख रुपये से कम कमा रहे हैं तो ही आप खुशियां मना सकते हैं.

अगर आपकी कमाई 5 लाख रुपये के भीतर आती है तो आपको 4 लाख रुपये तक कोई टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं है. आपको सेक्शन 80सी का भी फायदा मिलता है.

उन्होंने कहा, ‘टैक्स में बहुत कम छूट दी गई है और इससे कहीं ज्यादा की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन, अच्छी चीज यह है कि मामूली ही सही मगर टैक्स में राहत दी गई है. मिडिल क्लास और ज्यादातर दूसरे तबकों के लिए बजट में कुछ भी नेगेटिव नहीं है’.

शायद इसी चीज से हम सब खुश हो सकते हैं.