वित्त मंत्री के पेश बजट को देखने के बाद ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि बजट पर आने वाले पांच राज्यों के चुनाव छाए रहे हैं.
अब तक के पिछले तीन पूर्ण बजटों को देखें तो ये पाएंगे कि कृषि, गांव और सामाजिक क्षेत्रों में बजट आवंटन में कोई खास वृद्धि देखने को नहीं मिली थी.
लेकिन इस बार इन सभी क्षेत्रों पर वित्त मंत्री ने दिल खोलकर खजाना लुटाया है. प्रतिशत वृद्धि में अगर कहा जाए तो ये आवंटन काफी प्रभावी है.
लेकिन खासतौर से कृषि के क्षेत्र जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल सूक्ष्म कृषि विकास (प्रतिबूंद अधिक फसल), एकीकृत जल भंडारण विकास योजना, त्वरित सिंचाई लाभ और बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम में आवंटन बढ़ाया गया है.
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लेकिन साल 2022 तक किसानों की दोगुनी आय के घोषित लक्ष्य के हिसाब से अभी भी काफी कम है. इस लक्ष्य को पाने के लिए सिंचाई को कम से कम 40 से 50 हजार करोड़ रुपये आवंटन की जरुरत है.
सिंचाई सुविधा बढ़ने से पैदावार में 60-70 फीसद की वृद्धि हो जाती है. आवास योजना में एक करोड़ मकान देने का लक्ष्य 2019 तक रखा गया है.
इस वर्ग में आने वाले आवास निर्माण को वित्तमंत्री ने इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दे दिया है. इससे इस क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों को बैंकों से कर्ज लेने में आसानी हो सकती है और मकान निर्माण की रफ्तार में तेजी आ सकती है.
हो सकता है, यदि ये सारी घोषित प्रस्ताव जमीन पर उतर जाए तो सरकार का एक करोड़ मकान देने का सपना पूरा हो सकता है. रोजगार को लेकर मनरेगा के आवंटन में चमत्कारिक वृद्धि की गई है.
पिछले साल से लगभग 10 हजार करोड़ रुपये ज्यादा दिए गए हैं. इससे ग्रामीण मजदूरी को काफी राहत मिलेगी.
मध्यम वर्ग को राहत
मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए आयकर ने उम्मीदों के पहाड़ के मुताबिक राहत कम मिली है, लेकिन ये राहतें व्यवहारिक स्तर पर बहुत बड़ी हैं.
रक्षा पूंजी बजट में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है, ये सेना के आधुनिकीकरण करने के लिए बड़ा झटका है.
मोदी सरकार में इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. नोटबंदी के दौरान बैंकों के काम-काज से वित्त मंत्री नाराज से नजर आते हैं. शायद इसीलिए उन्होंने सरकारी बैंकों के पूंजीकरण के लिए केवल 10 हजार करोड़ रुपये दिए हैं.
पिछले बजट में ये 25 हजार करोड़ थे. इससे बैंकों को कर्ज देने में वैधानिक दिक्कतें आ सकती हैं.
इंद्रधनुष योजना के तहत बैंकों के पूंजीकरण के लिए सरकार ने 70 हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा पहले ही कर दी थी.
लेकिन बैंक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी बैंकों को 2020 तक तीन लाख करोड़ रुपये की पूंजीकरण के लिए जरुरत होगी.
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बजट का गणित फौरी तौर पर बहुत कमजोर लगता है. सरकार ने खर्चों का तो पक्का ब्यौरा दिया है, लेकिन सरकार की आय का ब्यौरा कच्चा है.
11.75 फीसदी की वृद्धि मानते हुए 2017-18 के बजट अनुमान में सकल घरेलू उत्पाद बढ़कर 16847455 करोड़ होने की संभावना है. पिछले साल वृद्धि का अनुमान 11 फीसदी किया गया था. नोटबंदी के बाद 11.75 फीसदी वृद्धि का अनुमान ज्यादा लगता है. व्यक्तिगत आयकर संग्रह के लक्ष्य में 90 हजार करोड़ की वृद्धि दिखाई गई है, जो बहुत ज्यादा है.
इसका एक मतलब ये भी है कि सरकार को अभी भी पूरी उम्मीद है कि नोटबंदी के चलते कालेधन पर जो आयकर लगाया गया है, उससे लगभग 40 से 50 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. पूरे बजट भाषण में वित्त मंत्री ने असाधारण ढंग से चुप्पी साधे रखी. न उन्होंने ये बताया कि कितना धन बैंकों में जमा हुआ है और उसमें काले धन की मात्रा कितनी है.
रेवेन्यू प्राप्तियों का लक्ष्य अब ज्यादा है. यदि ग्रोथ दर 7 फीसदी या उससे कम रह जाती है तो बजट की प्राप्ति लक्ष्य भरभरा कर गिर जाएगी.
सरकार ने इस बार विनिवेश का लक्ष्य भी बजट भाषण में नहीं बताया है. ये भी बजट के कच्चे गणित का सबूत है. पिछले बजट में विनिवेश से तकरीबन 56 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा गया.