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GST के बाद कैसे फाइल करेंगे टैक्स, यहां जानिए

जीएसटी लागू होने के बाद कारोबारियों की टैक्स फाइलिंग की हर मुश्किल का हल

FP Staff

एक जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद सबसे बड़ी समस्या टैक्स रिटर्न फाइल करने को लेकर होगी. इससे सबसे अधिक हलचल छोटे कारोबारियों के बीच है, क्योंकि उनके बिजनेस की सफलता और कारोबार की विश्वसनीयता जीएसटी सिस्टम के अनुकूल खुद को ढालने यानी नियमों के अनुपालन पर निर्भर करेगी. नए सिस्टम का लाभ लेने के लिए अब सप्लायर के इन्वायस और टैक्स अदायगी के बीच मिलान जरूरी होगा. उसके बाद ही उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध मिल पाएगा.

क्यों अहम हैं छोटे कारोबारी


छोटे कारोबारी ही देश की अर्थव्यवस्था के आधार हैं. उनसे ही देश के बिजनेस, इंडस्ट्री और जॉब मार्केट को बल मिलता है. छोटे कारोबारियों की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि लगभग 85 फीसदी लोगों को असंगठित क्षेत्र में ही जॉब मिलती है.अभी तक बड़ी संख्या में छोटे कारोबारी या तो रिटर्न फाइल करने और टैक्स देने से बच जाते हैं या फिर कभी करते और कभी नहीं करते हैं.

बेशक इसकी वजह जानकारी का अभाव, परिस्थितियां, बिजनेस का छोटा आकार, उनकी कम आय आदि हैं. हालांकि ऐसे मामलों में उन्हें टैक्स विभाग के नोटिस का सामना भी करना पड़ता है. उनसे टैक्स के साथ ब्याज, लेट फीस और पेनल्टी मांगी जाती है. ऐसे में टैक्स फाइलिंग की प्रक्रिया को समझना जरूरी हो गया है, क्योंकि यह अब एक दिन का मामला नहीं है, बल्कि इसमें लगभग पूरा महीना लग सकता है.

अगले महीने की 10 तारीख को जीएसटीआर-1 फॉर्म भरना

जीएसटीआर-1 फॉर्म में आपको संबंधित महीने के दौरान सामान और सेवाओं यानी गुड्स एंड सर्विसेज की सप्लाई की घोषणा करनी होगी. इसमें सप्लाई की गई वस्तुओं और सेवाओं की कुल करयोग्य वैल्यू भी बतानी होगी. अगर कंज्यूमर को की गई सप्लाई पर कर 2.5 लाख रुपए से अधिक बनता है और अगर यह सप्लाई दूसरे राज्य में की गई है तो आपको हर इन्वायस की डिटेल्स देनी होंगी.

11 तारीख को फॉर्म जीएसटीआर-2ए भरना

अगले महीने की 11 तारीख को जीएसटीआर-2ए फॉर्म में बाहर से आपको होने वाली आपूर्ति का ब्योरा देना होगा. इसे जीएसटीआर-1 फॉर्म में आपके सप्लायर की घोषणा के आधार पर तैयार किया जाएगा. 11 से 15 तारीख के बीच इसमें सुधार भी किया जा सकता है. इसमें गड़बड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट पाने की आपकी योग्यता प्रभावित होगी.

15 तारीख को जीएसटीआर-2 फार्म भरना

जीएसटीआर-2ए में जरूरी सुधार को अगले महीने की 15 तारीख को जीएसटीआर-2 फॉर्म में भरकर जमा किया जाएगा. इसके आधार पर ही आपको आपके ई-क्रेडिट लेजर में पोविजनल बेसिस पर आईटीसी क्रेडिट किया जाएगा और इन्वायस के साथ मैच करने के बाद उपयुक्त पाए जाने पर उसे फाइनल किया जाएगा.

16 तारीख को जीएसटीआर-1ए फॉर्म भरना

जीएसटीआर-2 में आप जो भी करेक्शन करते हैं, वह आपके सप्लायर को फॉर्म जीएसटीआर-1ए में उपलब्ध होगा. इसकी जांच-परख के बाद सप्लायर उसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है.

20 तारीख को जीएसटीआर-3 फॉर्म भरना

फॉर्म जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-2 के आधार पर अगले महीने की 20 तारीख को पेमेंट के साथ फॉर्म जमा करने के लिए एक आॅटो-पॉपुलेटेड रिटर्न जीएसटीआर-3 उपलब्ध कराया जाएगा.

फॉर्म जीएसटी एमआईएस-1 में इनपुट टैक्स क्रेडिट की अंतिम स्वीकृति

जीएसटीआर-3 फॉर्म में मासिक रिटर्न फाइल करने की तारीख के बाद इनवार्ड सप्लाई को आउटवार्ड सप्लाई यानी खरीद और बेची जाने वाली चीजों के बीच मैच किया जाएगा और फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट की अंतिम स्वीकृति को फॉर्म जीएसटी एमआईएस-1 में भरा जाएगा.