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ऊना कांड के पीड़ित दलितों ने मांगी इच्छामृत्यु, कहा- सरकार ने पूरे नहीं किए वादे

अपने परिवार की तरफ से लिखे पत्र में वशराम सर्वैया ने कहा है कि उस समय की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की तरफ से किए गए वादे को पूरा करने में राज्य सरकार नाकाम रही है

FP Staff

गुजरात के ऊना में 2016 में हिंसा के शिकार हुए दलित परिवारों का कहना है कि राज्य सरकार ने उनसे किए एक भी वादे को पूरा नहीं किया. मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इन लोगों ने अब इच्छामृत्यु की मांग की है. पत्र में यह भी कहा गया है कि एक आदमी 7 दिसंबर से दिल्ली में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेगा.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अपने परिवार की तरफ से लिखे पत्र में वशराम सर्वैया ने कहा है कि उस समय की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की तरफ से किए गए वादे को पूरा करने में राज्य सरकार नाकाम रही है. 11 जुलाई, 2016 को सर्वैया के परिवार और रिश्तेदारों पर हुए हमले के बाद पटेल ने ये वादे किए थे.


उन्होंने कहा कि आनंदीबेन पटेल ने आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार प्रत्येक पीड़ित को पांच एकड़ जमीन और योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाएगी. इसके साथ ही मोटा समधियाला गांव को विकसित गांव में बदल दिया जाएगा. वशराम ने अपने पत्र में लिखा है कि घटना के बीते दो साल 4 महीने हो गए लेकिन सरकार ने किसी भी वादे को पूरा नहीं किया और न ही पूरा करने का प्रयास किया.

जुलाई, 2016 में हुआ था दलितों पर हमला

11 जुलाई, 2016 को गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के ऊना तालुका के मोटा समधियाला गांव में गौरक्षकों ने वशराम, वशराम के भाई रमेश, उनके पिता और माता को निशाना बनाया था. हमलावरों ने इनपर गौहत्या का आरोप लगाया था. बाद में पुलिस जांच में सामने आया कि वे पशुओं के शव से चमड़ा उतार रहे थे.

इस हमले का वीडियो पूरे देश में वायरल हो गया था, जिसके बाद दलितों में काफी नाराजगी थी और उन्होंने पूरे राज्य में प्रदर्शन भी किया. इनमें से कुछ लोगों ने आत्महत्या का भी प्रयास किया था और एक शख्स की मौत भी हो गई थी.

वशराम ने बताया कि इस हमले के बाद हम अपना पारंपरिक पेशा छोड़ने मजबूर हो गए, जिसकी वजह से अब हमारे पास रोजी-रोटी कमाने का कोई साधन नहीं बचा. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आने वाले समय में हम भूखमरी का शिकार हो जाएं.