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रामजस विवाद पर बोले उमर, सेमिनार का जवाब पत्थर नहीं है

उमर ने कहा पिछले साल 9 फरवरी को जेएनयू में देश को तोड़ने वाले लगे नारों की वो निंदा करते हैं

FP Staff

जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद का कहना है कि उनकी लड़ाई देश में शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ने की सरकारी साजिश के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि शिक्षा पर लगातार प्रहार किया जा रहा है, उच्च शिक्षा पर सुनियोजित तरीके से हमला किया जा रहा है, वह इसी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.

फ़र्स्टपोस्ट के राजनीतिक संपादक संजय सिंह से फेसबुक लाइव पर बातचीत करते हुए खालिद ने कहा कि रोहित वेमुला की 'सांस्थनिक हत्या' की गई.


संजय सिंह के इस सवाल पर कि आप अफजल गुरू, कश्मीर में 26 साल पुराने एक रेप के मुद्दों को क्यों चुन-चुन कर उछालते हैं, खालिद ने कहा कि संविधान हमें हर किसी बारे में बात करने की आजादी देता है. ऐसे में हम किसी भी मुद्दे पर बात क्यों न करें.

अफजल गुरु के बारे में खालिद ने कहा कि वह मानते हैं कि वह संसद हमलों में एक अभियुक्त था. हालांकि खालिद ने जोड़ा कि कई लोगों ने उसे दोषी करार दिए की न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं.

रामजस कॉलेज में हिंसा पर संजय सिंह ने कहा कि जब आप हिंसा की बात करते हैं तो क्या यह केवल एक ओर से हुई? क्या सिक्के के दो पहलू नहीं है? खालिद ने कहा कि लड़ाई पत्थरवाद और जनवाद के बीच है.

उन्होंने कहा कि एबीवीपी को पत्थरबाजी की जगह शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना चाहिए था. वे सवाल-जबाब भी कर सकते थे. लेकिन एबीवीपी ने हिंसा का सहारा लिया.

क्या छात्रों का काम पढ़ाई नहीं है? इस खालिद ने कहा कि मैं एक सेमिनार में हिस्सा लेने गया था. क्या सेमिनार पढ़ाई का हिस्सा नहीं हैं? तो फिर उन्हें क्यों रोका गया.

उमर ने बातचीत के दौरान यह भी कहा कि पिछले साल 9 फरवरी को जेएनयू में देश को तोड़ने वाले लगे नारों की वो निंदा करते हैं.

संजय सिंह ने इस बात की ओर इशारा किया कि जब आजादी का नारा बुलंद किया जाता है तो अधिकतर लोगों के लिए इसका मतलब अलगाव भी होता. इस पर खालिद ने कहा कि हम समाज की कई बुराइयों के खिलाफ आजादी के बारे में बात करते हैं. इस पर संजय सिंह ने कहा कि बेहतर नहीं होगा कि आजादी की जगह किसी और शब्द का इस्तेमाल किया जाए.