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त्रिपुरा सरकार का फरमान: चश्मा, जींस और डेनिम पहनने से बचें नौकरशाह

राज्य में मुख्य विरोधी पार्टी सीपीएम और कांग्रेस का कहना है कि यह फैसला सरकार की सामंती मानसिकता को दर्शाता है

FP Staff

त्रिपुरा सरकार ने राज्य की सरकारी बैठकों के दौरान नौकरशाहों को जींस, डेनिम, और चश्मा पहनने से बचने की सलाह देते हुए निर्देश जारी किया है. सत्तारूढ़ बीजेपी-आईपीएफटी सरकार के इस ज्ञापन का विपक्षी दल जमकर विरोध कर रहे हैं. राज्य में मुख्य विरोधी पार्टी सीपीएम और कांग्रेस का कहना है कि यह फैसला सरकार की सामंती मानसिकता को दर्शाता है.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक यह ज्ञापन प्रधान सचिव सुशील कुमार ने जारी किया है. इस दौरान उन्होंने कहा, मैनें पिछले कार्यकाल के दौरान कई व्यक्तियों को सलाह दी थी कि राज्य स्तरीय आधिकारिक बैठकों में ड्रेस कोड का ध्यान रखें.


वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी 

ज्ञापन के मुताबिक मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मुख्य सचिव आदि की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में ड्रेस कोड का खास ध्यान दिया जाना चाहिए. और इन बैठकों के दौरान यह सुनिश्चित करना जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रमुख और एडीएम का काम हैं.

कुमार ने ज्ञापन में दावा किया है कि उनके पास भारत सरकार में काम करने के तीन दशकों का अनुभव है. और अभी तक उन्होंने आईएएस या केंद्रीय सेवाओं के अधिकारी को अनौपचारिक पोशाक पहने हुए ऑफिस आते हुए नहीं देखा है. ज्ञापन में जींस और कारगो पेंट को अनौपचारिक पोशाक बताया गया है.

बैठक के दौरान मोबाइल चलाना भी अपमान का प्रतीक

ज्ञापन में यह भी निर्देश जारी किया गया है कि बैठक के दौरान मोबाइल पर मैसेज भेजना या पढ़ना भी अपमान का ही प्रतीक है. कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार की सलाह का जिक्र करते हुए कहा कि अधिकारी बातचीत के दौरान अपनी जेब में हाथ डालकर न रखें और डेकोरम बनाए रखें.

राज्य सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने इसे उनकी सामंती सोच बताया है. वहीं सीपीएम के प्रवक्ता गौतम दास ने भी इस फैसले को निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा, 'भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं. यहां अब औपनिवेशिक शासन नहीं हैं. वो आदेश कैसे दे सकते हैं कि लोगों को क्या पहनना है और क्या नहीं.'