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तीन तलाक: हिंदू विवाह कानून की तरह एक अच्छा कानून बने

तीन तलाक के अलावा निकाह हलाला, बहुविवाह और गुजारा भत्ता के मामले अभी अनसुलझे हैं. इनको कानून के जरिए ही हल किया जा सकता है

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा को भले ही ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ करार दिया हो, लेकिन इसकी शिकार महिलाओं को अब भी इंसाफ का इंतजार है. उनकी मांग है कि ‘हिंदू विवाह कानून की तरह एक अच्छा कानून बनना चाहिए.’

दिल्ली की गुलशन परवीन के पति ने उन्हें एक बार में तीन तलाक दिया और उनको खुद से अलग कर दिया. गुलशन के लिए लड़ाई लड़ने वाले उनके भाई उस्मान अली इस बात से निराश हैं कि सरकार ने कानून नहीं बनाने के संकेत दिए हैं.


गुलशन का करीब चार साल पहले तलाक हुआ था. इसके बाद से वह और उनके भाई उस्मान कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

उस्मान का कहना है कि अगर किसी औरत को तलाक देकर अलग कर दिया जाए तो वह अपना जीवन यापन कैसे करेगी. मुस्लिम समाज में तलाक के बाद महिलाएं धक्के खाने को मजबूर हो जाती हैं.

निकाह हलाला, बहुविवाह और गुजारा भत्ता पर भी सुनवाई हो 

तीन तलाक मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिकाकर्ता और पीड़िता आफरीन रहमान ने ‘भाषा’ से कहा, ‘न्यायालय ने सिर्फ तीन तलाक के मामले पर फैसला सुनाया है. तीन तलाक के अलावा निकाह हलाला, बहुविवाह और गुजारा भत्ता के मामले अभी अनसुलझे हैं. इनको कानून के जरिए ही हल किया जा सकता है.’

आफरीन की अगस्त, 2014 में शादी हुई थी और जनवरी, 2016 में उनके पति ने उन्हें एक बार में तीन तलाक दिया. कई महीनों की दिक्कत का सामना करने के बाद उन्होंने देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया.

उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार एक कानून बनाए जिसमें मुस्लिम महिलाओं से जुड़े मुद्दे शामिल हों. कानून बनने के बाद ही पूरा इंसाफ मिलेगा.’ रिश्ते में आफरीन की बहन और ‘नेशनल मुस्लिम वूमेन वेलफेयर सोसायटी’ की उपाध्यक्ष नसीम अख्तर ने अपनी बहन की इस लड़ाई में पूरा साथ दिया और मामले को उच्चतम न्यायालय तक लेकर गईं.

सरकार की ओर से कानून की जरूरत नहीं होने का संकेत दिए जाने के संदर्भ में नसीम ने कहा, ‘सरकार के लोगों ने यह जरूर कहा है, लेकिन हम झुकने वाले नहीं है. हम कानून बनाने की मांग जारी रखेंगे और इसके लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.’

उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने एक बार में तीन तलाक की प्रथा को ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ करार दिया था.