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छत्तीसगढ़ में आदिवासी पत्रकार ने लगाया सीआरपीएफ पर उत्पीड़न का आरोप

पत्रकार लिंगाराम कोडोपी ने आरोप लगाया कि सीआरपीएफ द्वारा अदिवासियों पर किए जा रहे अत्याचारों के मुद्दे उठाने के कारण सीआरपीएफ ने उनका उत्पीड़न किया

FP Staff

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक आदिवासी पत्रकार ने सीआरपीएफ पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है. पत्रकार लिंगाराम कोडोपी ने आरोप लगाया कि सीआरपीएफ द्वारा अदिवासियों पर किए जा रहे अत्याचारों के मुद्दे उठाने के कारण सीआरपीएफ ने उनका उत्पीड़न किया.

लिंगाराम ने कहा कि रविवार की शाम जब वह अपने गांव समेली से आ रहा था तब उसे कुछ सुरक्षाबलों द्वारा रोका गया.


हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कोडोपी ने बताया जब वह चेक पॉइंट पर रुका तो सुरक्षा बल के जवान ने उनसे कहा 'कनपटी पर लगाउं क्या'. लिंगाराम के अनुसार जब उन्होंने विरोध किया तो उन्हें वरिष्ठ अधिकारी से मिलने को कहा गया.

जब लिंगाराम ने कहा कि वह इसकी शिकायत एनएचआरसी में करेगा तो सुरक्षाबलों ने उसे गालीयां देना शुरू कर दिया. लिंगराम एनएचआरसी के सदस्य भी हैं.

लिंगाराम कोडोपी ने बताया कि इसके बाद उन्होंने दंतेवाड़ा पुलिस अधिक्षक कमलोचन कश्यप के समक्ष सीआरपीएफ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

लिंगाराम कोडोपी ने एनएचआरसी को पत्र लिखने की बात करते हुए कहा 'उन्होंने मेरा उत्पीड़न किया क्योंकि मैंने सीआरपीएफ का पलनार में उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था'. लिंगराम ने जान को खतरा होने की बात भी की.

सीआरपीएफ ने आरोप को बताया निराधार

वहीं सीआरपीएफ के डीआईजी ए के सिंह ने कोडोपी के तमाम आरोपों को निराधार बताया. उन्होंने कहा कि लिंगाराम कोडोपी को समेली स्थित चेक पोस्ट पर रोका गया था. डीआईजी सिंह के मुताबिक कोडोपी ने शराब पी रखी थी. जिसके बाद उन्हें गाड़ी न चलाने की सलाह दी गई. डीआईजी ने कहा कि कोडोपी को किसी ने नहीं धमकाया.

दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक ने जांच के आदेश देने की बात करते हुए कहा कि कोडोपी ने उन्हें वारदात की रात को फोन किया था. और उसके अगले दिन लिखित शिकायत भी दर्ज कराई. जिसके बाद जांच के आदेश दे दिए गए.

बस्तर में पत्रकारों के उत्पीड़न की खबरें आम 

पिछले कुछ दिनों से बस्तर के इलाके में कार्यरत पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि पुलिस द्वारा अक्सर उन्हें ऐसे ही प्रताड़ित किया जाता है.

बस्तर क्षेत्र में साल 2016 से अब तक चार लोकल पत्रकारों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. वहीं बीबीसी के एक पत्रकार को जिला छोड़ने पर भी मजबूर कर दिया गया था. एक पत्रकार को तो यह क्षेत्र इसलिए छोड़ना पड़ा क्योंकि उस पर माओवादियों के साथ मिले होने के आरोप लगने लगे थे.

अक्टूबर 2015 में बस्तर के एक पत्रकार संतोष यादव को गिरफ्तार कर लिया गया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि उनके संबंध दर्भा के माओवादी नेता शंकर से हैं.

संतोष को फरवरी 2017 में 17 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिलने के बाद छोड़ा गया.