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टॉम ऑल्टर का निधन: नहीं रहे भारतीय रंगमंच के 'मौलाना अबुल आजाद'

स्किन कैंसर से पीड़ित थे टॉम ऑल्टर. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने जताया शोक

FP Staff

हिंदी फिल्मों के अभिनेता, लेखक और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित टॉम ऑल्टर का 67 साल की उम्र में निधन हो गया है.  वह लंबे समय से स्किन कैंसर से पीड़ित थे. उनका मुंबई के सैफी अस्पताल में इलाज चल रहा था. उन्होंने शुक्रवार देर रात मुंबई के अग्निपाड़ा स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली. टॉम ऑल्‍टर के परिवार में उनकी पत्नी कैरल, बेटा जेमी और बेटी अफशां हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा है 'सिनेमा और थियेटर में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.' अभिनेता अर्जुन कपूर ने ट्विट किया कि मुझे उनके साथ बचपन की धुंधली यादें हैं. क्रिकेट कमेंटेटर हर्ष भोगले ने लिखा कि एक प्योर स्पोर्ट्स लवर को हमने खो दिया.


ऑल्टर अमेरिकी मिशनरी माता-पिता के पुत्र थे. उनका जन्म 1950 में मसूरी में हुआ था. उन्होंने मसूरी के वुडस्टॉक स्कूल में और बाद में पुणे की फिल्म और टेलीविजन संस्थान में पढ़ाई की.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्विट किया कि मैं टॉम अॉल्टर से पहली बार सन 1973 में क्रिकेट के मैदान पर मिला था. वह मसूरी के लिए खेल रहे थे, मैं देहरादून की तरफ से. शोक व्यक्त करनेवालों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर, अभिनेत्री हुमा कुरैशी, निमरत कौर, क्रिकेटर मो. कैफ, इतिहासकार इरफान हबीब, कमेंटेटर आकाश चोपड़ा, अभिनेता कबीर बेदी शामिल हैं.

कुछ दिनों पहले ही उनके कैंसर की खबर सामने आई थी. जिसने सिनेमा लवर्स के बीच एक अजब सी हलचल मचा दी थी. भारत एक खोज, जुबान संभाल के, शतरंज के खिलाड़ी, गैंगस्टर केशव कालसी जैसे यादगार टीवी शो में काम कर चुके टॉम बड़े पर्दे पर भी खासे पॉपुलर थे. उन्होंने 300 से ज्यादा फिल्‍मों में काम किया. इसके अलावा उन्होंने कई टीवी शो में भी काम किया था.

टॉम ऑल्‍टर को कैंसर होने की जानकारी पिछले दिनों उनके बेटे जैमी ने दी थी. वह कैंसर की चौथी स्टेज पर थे. पिछले साल टॉम को इस स्थिति के कारण अंगूठा को कटवाना पड़ा था.

थिएटर से लेकर फिल्‍मों तक में अपनी बेहतरीन अदाकारी से लोगों का मन मोह लेने वाले टॉम ऑल्‍टर उन गिने-चुने विदेशी अभिनेताओं में से एक थे, जिनकी अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी और उर्दू पर भी बेहतरीन पकड़ थी.

हिंदी बोलते समय उनका लहजा इतना साफ होता था कि अगर आंखें बंद करके उनकी बात कोई सुने तो कह ही नहीं सकता कि ये कोई विदेशी अभिनेता की आवाज है. हालांकि उन्हें इस बात का सबसे ज्यादा मलाल रहा कि लोग उन्हें उनके गोरे रंग की वजह से उन्हें भारतीय मूल का नहीं मानते थे.

कला और सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2008 में ऑल्टर को पद्म श्री से सम्मानित किया गया. उनकी पहली हिंदी फिल्म रामानंद सागर की ‘चरस’ 1976 में रिलीज हुई थी. वहीं आखिरी फिल्म ‘सरगोशियां’ थी, जिसमें उन्होंने आलोकनाथ और फरीदा जलाल के साथ काम किया था. यह फिल्म इस साल मई में रिलीज हुई थी.

उनकी कुछ बेहद पसंद की गई फिल्मों में ‘आशिकी’, ‘परिंदा’ ‘सरदार पटेल’ और ‘गांधी’ शामिल हैं.