गुरमीत राम रहीम को अपने आश्रम की दो साध्वियों के साथ बलात्कार के मामले में सजा सुनाई जाने वाली है. बेहद लंबे संघर्ष के बाद इन जांबाज साध्वियों ने राम रहीम को कानून के शिकंजे में लाने में लाने में कामयाबी हासिल की है.
जानिए पूरा मामला आखिर कैसे आगे बढ़ा-
अप्रैल, 2002- तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को डेरा सच्चा सौदा के एक साध्वी की गुमनाम चिट्ठी मिली जिसमें उन्होंने बताया था कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने उनके साथ रेप किया है. ऐसी ही चिट्ठी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी मिली.
मई, 2002- पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरसा के जिला और सत्र जज को मामले की जांच के आदेश दे दिए.
सितम्बर, 2002- जिला कोर्ट ने जब बलात्कार की संभावना जताई तो हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए.
दिसंबर, 2002- सीबीआई ने राम रहीम के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया.
जुलाई, 2007- सीबीआई ने अंबाला कोर्ट में राम रहीम के खिलाफ चार्जशीट दायर कर ली. इस चार्जशीट में डेरा प्रमुख द्वारा 1999 और 2002 के बीच दो सध्वियों के साथ बलात्कार का जिक्र था.
सितंबर, 2008- स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत के खिलाफ धारा 376 और 506 (बलात्कार और धमकी) का चार्जशीट दायर किया.
2009-2010- दोनों पीड़ितों ने अदालत में अपने बयान दर्ज करवाए.
अप्रैल, 2011- स्पेशल सीबीआई अदालत को अम्बाला से पंचकूला स्थानांतरित कर दिया गया.
जुलाई, 2017- सीबीआई कोर्ट ने दैनिक सुनवाई के आदेश दे दिए.
17 अगस्त, 2017- पीड़ित पक्ष और आरोपी पक्ष ने अपनी अपनी दलीलें पूरी कीं. जज ने आदेश दिया कि 25 अगस्त को फैसले के दिन राम रहीम को हाजिर रहना होगा.
25 अगस्त, 2017- सीबीआई कोर्ट जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को बलात्कार का दोषी पाया और कहा कि सजा 28 अगस्त को दी जाएगी. इसके बाद हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली में हिंसा शुरू हो गई. इसमें 38 लोगों की मौत हो गई. ज्यादातर मौतें हरियाणा में हुईं.
28 अगस्त- राम रहीम को रोहतक जेल में सजा सुनाई जाने वाली है. सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं.