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सीवर सफाई में मजदूरों की लगातार मौतों के लिए कौन जिम्मेदार?

देश की निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी समय-समय पर सरकारी एजेंसियों से पूछा है कि आखिर इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है?

Ravishankar Singh

देश में गटर में गिरकर मरने वाले मजदूरों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. नोएडा के सेक्टर 110 में बृहस्पतिवार को सीवर लाइन की सफाई कर रहे तीन सफाई कर्मचारियों की गटर में गिरने से मौत हो गई.

बृहस्पतिवार को नोएडा के सेक्टर 110 में नाले की सफाई के लिए तीन मजदूर लगे थे. शाम के करीब चार बजे सबसे पहले एक मजदूर सीवर के अंदर घुसा. कुछ देर में जब उसकी आवाज नहीं आई तो दूसरा मजदूर भी उसे बचाने सीवर में घुसा. इसके बाद उसकी भी आवाज नहीं आई तो तीसरा मजदूर भी बचाने के लिए घुस गया. जब तीनों की आवाज नहीं आई तो सुपरवाइजर ने नोएडा पुलिस और प्राधिकरण के अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी.


नोएडा पुलिस और अग्निशामन विभाग की टीम ने करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद तीनों मजदूर के शवों को बाहर निकाला. तीनों की मौत जहरीली गैस से हुई है. तीनों मजदूरों ने मास्क नहीं पहन रखा था.

ऐसा कहा जा रहा है कि नाले की सफाई के दौरान मानकों का घोर उल्लंघन किया गया है. कर्मचारियों को मास्क उपलब्ध नहीं कराए गए थे. न ही कोई सुरक्षा के इंतजाम थे. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर मजदूर मास्क पहने होते तो जान बच सकती थी.

इस घटना के बाद से ही ठेकेदार सोहनवीर फरार चल रहा है. मृतक मजदूरों की उम्र 20 से 25 साल है. नोएडा प्राधिकरण ने आनन-फानन में जांच के आदेश दे दिए हैं. उधर घटना के बाद से ही तीनों परिवार के घरों में मातम पसरा हुआ है.

नोएडा प्राधिकरण ने तीनों मृतकों के परिजनों को दस–दस लाख रुपए का मुआवजा दे कर खानापूर्ति भी पूरी कर दी है.

हम आपको बता दें कि बृहस्पतिवार को सीवर की सफाई के लिए गाजियाबाद के एक ठेकेदार सोहनवीर ने तीन लोगों को बुलाया था. नोएडा प्राधिकरण के तरफ से सीवर की सफाई का काम किसी भी व्यक्ति से कराने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

ऐसे में सीवर की सफाई काम में मजदूरों को क्यों लगाया गया? इस मौके पर प्राधिकरण के तरफ से कोई अधिकारी क्यों नहीं था? जिस ठेकेदार ने मजदूरों को बुलाया वह वहां पर मौजूद था या नहीं? इस सबके बावजूद जब सीवर की सफाई के लिए कर्मचारियों की मनाही है तो सीवर की सफाई के लिए तीन लोगों को क्यों बुलाया गया? ये कुछ सवाल हैं जिसका जवाब अब नोएडा प्राधिकरण को देना पड़ेगा.

नोएडा प्राधिकरण के परियोजना अभियंता समाकांत श्रीवास्तव के मुताबिक, प्राधिकरण की तरफ से सीवर की सफाई के लिए सोहनवीर नाम के एक ठेकेदार को जिम्मेदारी दी गई थी. शुक्रवार को सफाई के लिए मशीन मिलने वाली थी. लेकिन, लगातार शिकायत मिलने के बाद ठेकेदार ने बृहस्पतिवार को ही काम शुरू कर दिया जिससे ये हादसा हो गया.

मृतक सफाई कर्मचारियों की पहचान कर ली गई है. तीनों मृतक झारखंड के गोड्डा जिले के रहने वाले हैं. तीनों मजदूरों का परिवार नोएडा के ही सेक्टर 9 झुग्गी में रहता है.

पिछले कुछ सालों से सीवर की सफाई का काम सिर्फ मशीनों से कराए जाने की व्यवस्था की बात लगातार कही जाती रही है. किसी भी व्यक्ति से सीवर की सफाई कराने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. ऐसे में सीवर की सफाई के दौरान तीन लोगों की मौत ने नोएडा प्राधिकरण पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

सीवर में काम करते लोगों की मौत का आंकड़ा पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ा है. नोएडा से सटी दिल्ली में बीते करीब एक महीने में सीवर की सफाई के दौरान दस मजदूरों की मौत हो चुकी है.

यह स्थिति तब है, जबकि मजदूरों से सीवर की सफाई कराने पर सुप्रीम कोर्ट भी रोक लगा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह रखा है कि सीवर की सफाई सिर्फ मशीनों के जरिए ही होनी चाहिए.

लेकिन, इसके बावजूद विभिन्न सरकारी संस्थाओं और ठेकेदार अपने-अपने स्तर पर सीवर की सफाई मजदूरों से करा रहे हैं. जिसका खामियाजा मजदूरों को जान देकर चुकाना पड़ रहा है.

नोएडा में तीन मजदूरों की मौत के बाद एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है कि क्या देश में अदालती आदेश सिर्फ कोर्ट की चहारदीवारी तक ही सीमित रहता है?

देश की निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी समय-समय पर सरकारी एजेंसियों से पूछा है कि आखिर इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो काम सरकारी एजेंसियों को पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए, कोर्ट के माध्यम से कराया जा रहा है. इन एजेंसियों को कोर्ट की तरफ से उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराना पड़ता है.