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देश में रोडरेज से रोजाना तीन लोगों की होती है मौत!

2016 में दिल्ली में रोडरेज के 40 मामले दर्ज किए गए जिसमें 22 लोग घायल हुए और 2 लोगों की मौत हुई

Bhasha

राह चलते छोटी छोटी बातों पर मारपीट और संघर्ष से जुड़ी ‘रोडरेज’ की घटनाओं के कारण देश में हर रोज औसतन तीन लोग मारे जा रहे हैं और इस गंभीर स्थिति को देखते हुए रोडरेज की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए ठोस कानून बनाने की मांग हो रही है.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में पूरे देश में रोडरेज के 3782 मामले दर्ज किए गए और इन घटनाओं में 4702 लोग घायल हुए और इस दौरान मारपीट और संघर्ष में 1388 लोगों की मौतें हुई. इसी प्रकार से साल 2016 में देश में रोडरेज के 1643 मामले दर्ज किए गए जिसमें 1863 लोग घायल हुए और 788 लोगों की मौत हुई.


बीजेपी सांसद रत्न लाल कटारिया ने रोडरेज के विषय को लोकसभा में उठाया. कटारिया ने कहा कि उन्होंने संसद में सवाल उठाया और इस विषय की गंभीरता की ओर ध्यान आकृष्ठ कराने का प्रयास किया.

उन्होंने कहा कि यह गंभीर विषय है और देश में रोडरेज की बढ़ती समस्या से निपटने के लिये ठोस कानून बनाने के बारे में विचार किए जाने की जरूरत है.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबकि, साल 2015 में ओडिशा में रोडरेज के सबसे अधिक 2239 मामले दर्ज किए गए जिसमें 2357 लोग घायल हुए और 852 लोगों की मौत हुई. साल 2016 में ओडिशा में रोडरेज के 132 मामले दर्ज किए गए जिसमें 135 लोग घालय हुए और 58 लोगों की मौत हुई.

साल 2015 में पश्चिम बंगाल में रोडरेज के 455 मामले दर्ज किए गए जिसमें 379 लोग घायल हुए और 252 लोगों की मौत हुई. साल 2016 में पश्चिम बंगाल में रोडरेज के 258 मामले दर्ज किए गए जिसमें 229 लोग घायल हुए और 208 लोगों की मौत हुई.

साल 2015 में उत्तरप्रदेश में रोडरेज के 265 मामले दर्ज किए गए जिसमें 272 लोग घायल हुए और 4 लोगों की मौत हुई. साल 2016 में उत्तरप्रदेश में रोडरेज के 217 मामले दर्ज किए गए जिसमें 220 लोग घायल हुए और 6 लोगों की मौत हुई. साल 2015 में मध्यप्रदेश में रोडरेज के 106 मामले दर्ज किए गए जिसमें 556 लोग घायल हुए और 87 लोगों की मौत हुई. साल 2016 में मध्य प्रदेश में रोडरेज के 137 मामले दर्ज किए गए जिसमें 130 लोग घायल हुए और 8 लोगों की मौत हुई.

साल 2015 में जम्मू कश्मीर में रोडरेज के 265 मामले दर्ज किए गए जिसमें 433 लोग घायल हुए और 43 लोगों की मौत हुई. साल 2016 में जम्मू कश्मीर में रोडरेज के 319 मामले दर्ज किए गए जिसमें 610 लोग घायल हुए और 70 लोगों की मौत हुई.

कहां कितने लोग हुए रोडरेज का शिकार?

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबकि, दिल्ली में साल 2015 में रोडरेज के 43 मामले दर्ज किए गए जिसमें 47 लोग घायल हुए और कोई मौत नहीं हुई. साल 2016 में दिल्ली में रोडरेज के 40 मामले दर्ज किए गए जिसमें 22 लोग घायल हुए और 2 लोगों की मौत हुई.

साल 2015 में राजस्थान में रोडरेज के 139 मामले दर्ज किए गए जिसमें 86 लोग घायल हुए और कोई मौत नहीं हुई. साल 2016 में राजस्थान में रोडरेज के आंकड़े शून्य दर्शाए गए हैं. पुदुचेरी में साल 2015 में रोडरेज के 49 मामले दर्ज किए गए जिसमें कोई घायल नहीं हुआ और 49 लोगों की मौत हुई. साल 2016 में पुदुचेरी में रोडरेज के 67 मामले दर्ज किए गए जिसमें 67 लोग घायल हुए और 145 लोगों की मौत हुई. उत्तराखंड में साल 2016 में रोडरेज की151 घटनाएं घटी जिसमें 129 लोग घायल हुए और 120 लोगों की मौत हुई.

साल 2015 में बिहार में रोडरेज के 47 मामले दर्ज किए गए जिसमें 41 लोग घायल हुए और 7 लोगों की मौत हुई. साल 2016 में बिहार में रोडरेज के 5 मामले दर्ज किए गए जिसमें 9 लोग घायल हुए और 1 व्यक्ति की मौत हुई. साल 2015 में आंध्रप्रदेश में रोडरेज के 18 मामले दर्ज किए गए जिसमें 15 लोग घायल हुए और 3 लोगों की मौत हुई. साल 2016 में आंध्र प्रदेश में रोडरेज के 52 मामले दर्ज किए गए जिसमें 70 लोग घायल हुए और11 लोगों की मौत हुई. साल 2015 में हरियाणा में रोडरेज के 10 मामले दर्ज किए गए जिसमें 9 लोग घायल हुए और 1 व्यक्ति की मौत हुई. साल 2016 में हरियाणा में रोडरेज के 12 मामले दर्ज किए गए जिसमें 12 लोग घायल हुए और किसी की मौत नहीं हुई.

रोडरेज के विषय पर गृह मंत्रालय का कहना है कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत पुलिस एवं लोक व्यवस्था राज्य का विषय है. इसके अलावा भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में रोडरेज की घटनाओं से निपटने के लिये पर्याप्त प्रावधान हैं. मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 166 और 140 में सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने का प्रावधान है.