तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता मुकुल रॉय के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके बारे में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. बीजेपी के नेता जहां रॉय की संगठनात्मक कुशलता की प्रशंसा कर रहे हैं.
वहीं, तृणमूल में उनके सहयोगी रह चुके नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि रॉय न तो बेहतर रणनीतिकार हैं और न ही उनके पास लोगों तक पहुंचने की क्षमता है. बीजेपी की राज्य इकाई ने उम्मीद जताई है कि रॉय पश्चिम बंगाल में बीजेपी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि बीजेपी बंगाल में तेजी से अपना विकास कर रही है और रॉय अपनी संगठनात्मक क्षमताओं की मदद से पार्टी को राज्य में विस्तार देंगे.
संवाददाताओं के साथ हुई बैठक के दौरान रॉय ने कहा कि वह किसी पर भी व्यक्तिगत हमला नहीं करेंगे लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे.
उन्होंने कहा, 'मैं अभी से ही देख सकता हूं कि बंगाल में दूसरा बदलाव होने जा रहा है. तृणमूल अपने रास्ते से भटक गई और इसने वही स्थितियां पैदा की, जिनके खिलाफ पार्टी ने कभी लड़ाई लड़ी थी. इसलिए मैंने पार्टी छोड़ दी.' रॉय ने दावा किया कि तृणमूल अब लोगों के लिए काम नहीं करती है.
उन्होंने कहा, ' तृणमूल कुछ मुट्ठी भर लोगों के हितों को पूरा करती है.' हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए रॉय से जब राज्य में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव होगा तो बीजेपी अच्छा प्रदर्शन करेगी. रॉय ने कहा कि बंगाल में साल 2021 में बीजेपी सत्ता में आएगी.
'रॉय में लोगों को अपनी तरफ खींचने की क्षमता नहीं'
नाम न जाहिर करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि रॉय के पार्टी छोड़ने की तुलना ममता बनर्जी के साल 1998 में कांग्रेस छोड़ने से नहीं की जा सकती है. ‘ममता ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तब वह एक स्थापित जन नेता और जुझारू नेता थीं. राय न तो जन नेता हैं और न ही जुझारू नेता हैं.’
तृणमूल कांग्रेस के नेता ने दावा किया कि रॉय पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे. नेता ने दावा किया कि रॉय में लोगों को अपनी तरफ खींचने की क्षमता का अभाव है.