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राजस्थान के इस गांव में गाड़ियां ही गाड़ियां... लेकिन घरों में शौचालय नहीं!

हिंडोली कस्बे में पक्के मकान हैं, गाड़ियां हैं, सुविधाओं के तमाम साधन हैं लेकिन घरों में टॉयलेट नहीं बने हैं

FP Staff

राजस्थान के कोटा-जयपुर हाईवे स्थित हिंडोली कस्बे को देखकर इसकी खुशहाली का अंदाजा लगाया जा सकता है. 300 लोगों की आबादी वाले इस कस्बे में 40 पक्के मकान और 30 गाड़ियां हैं. लेकिन हैरान करने वाली बात है कि इस समृद्ध गांव के लोगों को स्वच्छता और और अपनी सेहत की फिक्र नहीं है. हिंडोली कस्बे में बड़े-बड़े पक्के मकान हैं, गाड़ियां हैं, सुविधाओं और सहूलियतों के तमाम साधन हैं लेकिन घरों में शौचालय नहीं हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार 70 साल के घासी लाल नाथ 10 सदस्यों वाले परिवार के मुखिया हैं. कस्बे में उनका अपना पक्का मकान है, घर की फर्श टाइल्स से बनी हैं लेकिन घर की औरतें खुले में शौच जाती हैं, उन्हें बाहर जाने को लेकर कोई एतराज नहीं है. घासी लाल ने कहा, हमारे पास शौचालय बनवाने के लिए पैसा नहीं है लेकिन हम जल्द ही शौचालय बनवाने की सोच रहे हैं.


उनसे जब शौचालय निर्माण के लिए सरकार की ओर से दिए जाने वाले पैसे की बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने शौचालय बनवाए उन्हें अब तक कोई धनराशि नहीं मिली है.

इस कस्बे के केवल 16 घरों में शौचालय बनवाए गए हैं लेकिन इसके लिए किसी को भी शौचालय निर्माण के लिए मिलने वाली 15 हजार की सरकारी सहायता धनराशि नहीं मिली है. इसे देखते हुए ग्रामीण शौचालय के लिए सरकारी सहायता धनराशि नहीं मिलने की बात कहकर अब शौचालय बनवाने से पीछे हट रहे हैं.

पुष्कर सुवालका, चित्तर लाल सुवालका और नाथूजी महाराज ने अपने घर में शौचालय का निर्माण करवाया लेकिन सहायता राशि अब तक नहीं मिली. हमने प्रमाण पत्र भी जमा करवाए, दो बार इसे पेश किया. एक बार प्रमाण पत्र पंचायत समिति कार्यालय में खो गया जिसके बाद हमने दोबारा इसे जमा कराया. मैं पिछले दो साल से सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता धनराशि का इंतजार कर रहा हूं.

टॉयलेट बनाने में 25-30 हजार का खर्च, लेकिन सरकारी मदद 15 हजार

धन्नानाथ योगी ने बताया, एक शौचालय को बनाने में लगभग 25 हजार से 30 हजार रुपए का खर्च आता है लेकिन सरकारी मदद केवल 15 हजार ही मिलती है जो कि पर्याप्त नहीं है. इसके अलावा इस रकम के मिलने में काफी वक्त लग जाता है.

बाबुल योगी ने हाल ही में परिवारवालों के लिए एसयूवी गाड़ी खरीदी है. उनके यहां पहले से ही 6 गाड़ियां हैं लेकिन उनके घर में एक भी शौचालय नहीं है. परिवार में 10 सदस्य हैं. सभी खुले में बाहर शौच के लिए जाते हैं. उन्होंने कहा, सभी गाड़ियां लोन लेकर खरीदी गई हैं. हम जल्द ही घर में एक शौचालय बनवाने का प्रयास करेंगे.

केंद्र सरकार बीपीएल परिवारों को शौचालय निर्णाण के लिए 15 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देती है

बाबू लाल नाथ के पास भी कथित तौर पर 15 गाड़ियां हैं लेकिन उनके घर में भी शौचालय की सुविधा नहीं है.

द्वारिका और सीमा दसवीं में पढ़ती हैं. ये दोनों घनश्याम योगी परिवार का हिस्सा हैं. उन्होंने अपने घर में बन रहे शौचालय की तरफ इशारा करते हुए कहा, हम बहुत खुश हैं कि हमारे यहां जल्दी ही टॉयलट होगा. हमें बाहर शौच जाने में बहुत शर्मिंदगी होती थी और डर भी लगा रहता था. हमें जंगल में शौच के लिए जगह तलाश करनी पड़ती थी.

हिंडोली के मिडिल स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका सुमन शर्मा, नासेरा बानो, राजेश्वरी ने गांव जाकर लोगों को शौचालय बनवाने के लिए जागरूक किया. शिक्षिका ने बताया, गांव के लोग सरकारी सहायता को पूरा नहीं बताते हुए शौचालय निर्माण से बच रहे हैं, लेकिन हम उन्हें महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की बात समझाकर घर में ही शौचालय बनवाने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहे हैं.