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यूपीः मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ हो रहा है ऐसा, शेल्टर होम की हालत देख उड़ जाएंगे होश

दिल को छूने वाला ये हादसा तब सामने आया जब साउथ दिल्ली के रहने वाले एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में समाज के वंचित लोगों के सिविल, राजनीतिक और मौलिक अधिकारों के लिए पेटिशन दायर की

FP Staff

उत्तर प्रदेश के बदायूं के एक शेल्टर होम की हालत ऐसी है जिसे देखते ही आपके होश उड़ सकते हैं. इस शेल्टर होम में कई वर्षों से मानसिक रूप से बीमार लोगों को लोहे की बेड़ियों से हाथ पैर बांधकर फेंक कर रखा गया है. बता दें कि इस शेल्टर होम में कम उम्र की पुरुष और महिलाओं से लेकर ऐसे बुजुर्गों को रखा जाता है जिनकी मानसिक हालत सही नहीं होती. एएनआई की खबर के मुताबिक यहां पर ऐसे लोगों के साथ बसलूकी की जाती है.

मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ बहुत भेदभाव हो रहा है


दिल को छूने वाला ये हादसा तब सामने आया जब साउथ दिल्ली के रहने वाले एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में समाज के वंचित लोगों के सिविल, राजनीतिक और मौलिक अधिकारों के लिए पेटिशन दायर की. एडवोकेट गौरव कुमार बंसल का मानना है कि मानसिक रूप से कमजोर लोगों का इलाज करने वाले भरोसेमंद पागलखानों की ये छवि दर्शाती है कि आज भी हमारे देश में मेंटल हेल्थ और उनके ट्रीटमेंट में एक बहुत बड़ा अंतर है. बंसल ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ काफी ज्यादा भेदभाव हो रहा है क्योंकि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसके नियमों को, जिसमें धर्म, समाज और राजनीति मिला हुआ है, को तोड़ने में असफल हो रहे हैं.

1 लाख की आबादी में से 2443 लोग मानसिक बीमारी से ग्रसित होते हैं

वहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए के सीकरी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को जल्द से जल्द कड़े कदम उठाने के लिए कहा और उस शेल्टर होम में मौजूद लोगों को अच्छा मेंटल हेल्थकेयर देने का निर्देश दिया. बेंच ने कहा- यह एक गंभीर मामला है. ऐसे लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. आर्टिकल 21 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति जो दिमागी तौर पर बीमार है को अधिकार है कि वह अपनी जिंदगी जी सके और उसे किसी भी तरह के क्रूर और जघन्य ट्रीटमेंट से बचाया जाए. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक वर्ष 1 लाख की आबादी में से 2443 लोग मानसिक बीमारी से ग्रसित होते हैं जिनमें से 21 फीसदी लोग सुसाइड कर लेते हैं.