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एंटीबायोटिक्स के ज्यादा इस्तेमाल से होते हैं ये नुकसान!

स्टडी में पाया गया कि शरीर की नेचुरल रोग रेसिस्टेंट क्षमता इंफेक्शन से लड़ने, अवांछित जलन और सूजन को कम करने में प्रभावी हैं और एंटीबायोटिक्स ऐसी प्राकृतिक क्षमताओं को रोक सकते हैं

FP Staff

एंटीबायोटिक्स (प्रतिजैविक दवाएं) के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से रेसिस्टेंट सेल्स को दुरुस्त रखने और इंफेक्शन को दूर रखने वाले शरीर के ‘अच्छे’ विषाणु मर सकते हैं. वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि इन दवाओं का ज्यादा उपयोग शरीर के लिए कुछ अच्छा करने की बजाए उसे नुकसान पहुंचा सकता है.

इस स्टडी में पाया गया कि शरीर की नेचुरल रोग रेसिस्टेंट क्षमता इंफेक्शन से लड़ने, अवांछित जलन और सूजन को कम करने में प्रभावी हैं और एंटीबायोटिक्स ऐसी प्राकृतिक क्षमताओं को रोक सकते हैं.


अमेरिका की ‘केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी’ के रिसर्चर्स ने 'शरीर में रहने वाले' विषाणु, उनके फैटी एसिड और श्वेत रक्त कणिकाओं (डब्ल्यूबीसी) के कुछ प्रकारों का विश्लेषण किया जो मुंह के संक्रमण से लड़ने में सक्षम होते हैं.

केस वेस्टर्न में एसोसिएट और चीफ रिसर्चर पुष्पा पंडियान ने कहा, 'हमने यह जानने के लिए प्रयोग किया अगर किसी फंगल इंफेक्शन से लड़ने के लिए हमारे पास विषाणु नहीं होगा तो क्या होगा.' इन अनुसंधानकर्ताओं में भारतीय मूल के वैज्ञानिक नटराजन भास्करन और शिवानी बुटाला शामिल थी.

उन्होंने बताया कि जानलेवा इंफेक्शन को ठीक करने के लिए अब भी एंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ती है. पंडियान ने कहा, 'हमारे शरीर में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमताएं मौजूद हैं और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए. एंटीबायोटिक्स के बेवजह अत्याधिक प्रयोग से कोई लाभ नहीं होता.' यह अध्ययन ‘फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)