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रेल मंत्री सुरेश प्रभु के कार्यकाल के दौरान हुई 8 बड़ी ट्रेन दुर्घटनाएं

4 दिन के भीतर दूसरी बार बड़ी ट्रेन दुर्घटना होने पर सुरेश प्रभु ने रेल मंत्री के पद से इस्तीफे की पेशकश की है

FP Staff

बीते शनिवार को मुजफ्फरनगर के खतौली में कलिंगा-उत्कर्ष एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद अब मंगलवार-बुधवार की रात कैफियत एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने इस्तीफे की पेशकश की है. प्रभु ने बुधवार को ट्वीट कर प्रधानमंत्री को नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की पेशकश की.

इसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरेश प्रभु को अभी इंतजार करने को कहा है.


सुरेश प्रभु के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान नवंबर, 2014 के बाद से 20 से ज्यादा छोटी-बड़ी ट्रेन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. इनमे से 9 ट्रेन दुर्घटनाओं में यात्रियों की भी मौत हुई है.

रेल मंत्री सुरेश प्रभु के कार्यकाल के दौरान हुई कुछ बड़ी ट्रेन दुर्घटनाओं पर नजर डालते हैं..

रेल मंत्री सुरेश प्रभु

अनेकल रेल दुर्घटना

13 फरवरी, 2015 के दिन सुबह साढ़े सात बजे के लगभग बैंगलोर-अर्नाकुलम इंटरसिटी एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12677) की 9 बोगियां बैंगलोर में अनेकल के पास पटरियों से उतर गईं. रिपोर्ट के अनुसार ट्रेन में सवार यात्रियों ने बताया कि उन्हें 3-5 सेकेंड तक झटका महसूस हुआ और उसके बाद ट्रेन झटके से रूक गई. डी9 कंपार्टमेंट जाकर डी8 से टकरा गई और आगे की चार कतारें तहस-नहस हो गईं. इस दुर्घटना में 10 यात्रियों की मौत हो गई और 150 से अधिक घायल हो गए.

जनता एक्सप्रेस दुर्घटना

20 मार्च, 2015 के दिन सुबह 9 बजे देहरादून-वाराणसी जनता एक्सप्रेस रायबरेली जिले में पटरी से उतर गई. इस ट्रेन दुर्घटना में कम से कम 58 मुसाफिर मारे गए जबकि 150 से अधिक लोग जख्मी हुए. ट्रेन में सफर करने वाले वालों की भारी भीड़ थी. रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेन के ड्राइवर ने रेडियो पर समय रहते रेलगाड़ी के ब्रेक फेल होने और ट्रेन को रोक नहीं पाने की जानकारी दी थी. जांच रिपोर्ट में दुर्घटना की वजह ट्रेन का ब्रेक फेल हो जाने की बात सामने आई थी.

कौशांबी ट्रेन दुर्घटना

राउरकेला-जम्मू तवी मुरी एक्सप्रेस (18109) 25 मई, 2015 के दिन उत्तर प्रदेश के कौशांबी में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस दुर्घटना में ट्रेन की 8 बोगियां पटरी से उतर गईं जिससे 5 यात्रियों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए.

मध्य प्रदेश में दो ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं

4 अगस्त, 2015 के दिन कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस एक के बाद एक एमपी में हरदा के पास दुर्घटना का शिकार हो गईं. इलाके में जारी भारी बारिश की वजह से बाढ़ का पानी माचक नदी पर बने रेलवे पुल के ऊपर से होकर बहने लगा. आधी रात के बाद जैसे ही मुंबई से वाराणसी जा रही कामायनी एक्सप्रेस उसपर से गुजरी पुल भार न सह सका और ट्रेन के 6 डिब्बे पानी में गिर गए.

इसके कुछ देर बाद उसी जगह पर जनता एक्सप्रेस भी दुर्घटनाग्रस्त हो गई. दोनों रेल दुर्घटनाओं में 31 यात्रियों की जिंदगी चली गई जबकि, 100 से अधिक लोग घायल हुए. ये भी कहा गया कि हादसे में कई यात्री माचक नदी की तेज धारा में बह गए.

दूरंतो एक्सप्रेस दुर्घटना

कर्नाटक के कलबुर्गी में 12 सितंबर, 2015 को सिकंदराबाद-मुंबई लोकमान्य तिलक टर्मिनस दूरंतो एक्सप्रेस (12220) दुर्घटना का शिकार हो गई. ट्रेन की 9 बोगियां पटरी से उतर गईं जिससे 2 यात्रियों की मौत हो गई और 7 लोग जख्मी हो गए.

कालका-शिमला पटरी से उतरी

कालका से शिमला तक चलने वाली नैरो गेज शिवालिक क्वीन 12 सितंबर, 2015 के दिन पटरी से उतर गई. इस दुर्घटना में दो पर्यटकों की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए. दुर्घटना के वक्त ट्रेन में 36 ब्रिटिश पर्यटक और एक टूर गाइड सवार थे.

इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसा

कानपुर के पास दुर्घटना का शिकार हुए इंदौर-पटना एक्सप्रेस को रेल मंत्री सुरेश प्रभु के कार्यकाल के दौरान सबसे बड़ी रेल दुर्घटनाओं में से माना जाता है. 20 नवंबर, 2016 को कानपुर देहात जिले में पुखराया स्टेशन के पास ट्रेन पटरी से उतर गई. इस दुर्घटना में 150 यात्री मारे गए थे जबकि, डेढ़ सौ से अधिक लोग घायल हुए थे. हादसे की मुख्य वजहों में ट्रेन में अधिक भीड़भाड़ होना और पटरियों में दरार का उभरना माना गया.

हीराखंड एक्सप्रेस दुर्घटना

आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस (18448) के 9 डिब्बे और एक डीजल इंजन पटरी से उतर गए. जनवरी, 2017 में हुए इस ट्रेन दुर्घटना में ट्रेन की कुछ बोगियां दूसरी दिशा से अलग ट्रैक पर आ रही माल गाड़ी से टकरा गए. रिपोर्ट के अनुसार ट्रेन की दुर्घटनाग्रस्त डिब्बों से बाहर निकलने के लिए मचे भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई जबकि 68 लोग घायल हो गए.