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मीडिया महोत्सव में होगी भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा में मीडिया की भूमिका पर चर्चा

भोपाल में 31 मार्च और 1 अप्रैल को इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 'मीडिया महोत्सव 2018’ में राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा मुद्दों और मीडिया की अहम भूमिका और जिम्मेदारियों पर चर्चा की जाएगी

Debobrat Ghose

शिक्षाविद्, वैज्ञानिक, मीडियाकर्मी, आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञ, राजनीतिज्ञ और दक्षिणपंथी बुद्धिजीवी विचार मंथन हेतु भोपाल में 31 मार्च और 1 अप्रैल को एकत्रित हो रहे हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा मंच, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, कम्युनिकेशन एंड इंफॉर्मेशन रिसोर्सेज (निस्केयर), विवेकानंद केंद्र (भोपाल), विश्व संवाद केंद्र, विश्वविद्यालयों और गैर सरकारी संगठन स्पंदन- द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 'मीडिया महोत्सव 2018’ में राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा मुद्दों और मीडिया की अहम भूमिका और जिम्मेदारियों पर चर्चा की जाएगी.


मीडिया महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष एसके राउत (पूर्व महानिदेशक पुलिस, मध्य प्रदेश) ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘इस विशाल आयोजन का उद्देश्य मीडियाकर्मी और भारत के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा विशेषज्ञों के मध्य विचार मंथन करना है. हम सभी इस बात के गवाह हैं कि किस तरह 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के मीडिया कवरेज को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा खासकर टीवी चैनलों द्वारा ताज पैलेस और टॉवर पर आतंकवादी हमले के कवरेज को लेकर. यहां विभिन्न सत्रों के माध्यम से हम यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि कभी-कभी संवेदनशील मुद्दों को कवर करते समय क्या गलत होता है.’

इन मुद्दों पर होगी चर्चा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की जाएगी. आरएसएस के पूर्व विचारक के एन गोविंदाचार्य 'राष्ट्रीय सुरक्षा की राजनीति' सत्र की अध्यक्षता करेंगे.

आरएसएस कार्यकर्ता और मीडिया महोत्सव आयोजन समिति के समन्वयक, अनिल सौमित्र ने कहा, ‘दशकों तक, मीडिया सहित सामाजिक-सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्रों में वामपंथी विचारधारा का कब्जा रहा है. अब समय एक बदलाव का है. इस वामपंथी विचारधारा से राष्ट्रवादी विचारधारा के लिए एक प्रतिमान परिवर्तन की आवश्यकता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लंबे समय तक भारतीयकरण के बारे में बात कर रहा है- चाहे वह भारत में चर्च या इस्लाम के बारे में हो या हमारे सांस्कृतिक लोकाचार के बारे में. यह महोत्सव विभिन्न मुद्दों पर विचारों के मंथन का एक मंच होगा.'

सौमित्र ने आगे कहा, ‘वर्तमान जनसंचार माध्यमों में राजनीति, अपराध और मनोरंजन की बढ़ती हिस्सेदारी चिंता की बात है. माध्यमों में ज्ञानात्मक पक्ष उपेक्षित है. संचार माध्यमों पर यूरोपीय, नकारात्मक, और अमानवीय पक्ष हावी है. माध्यमों को भारतीय, सकारात्मक और मानवीय होने की जरूरत है. गैर-जरूरी संदेश लेना पाठक, श्रोता और दर्शक के लिए मजबूरी है. माध्यमों से शिक्षा लगभग नदारद है. मीडिया चौपाल का एक उद्देश्य यह भी है कि समाज की जरूरतों के लिहाज से विकास, विज्ञान, पर्यावरण, संस्कृति और गैर राजनीतिक, गैर-आपराधिक और गैर-मनोरंजनात्मक संदेशों को भी वाजिब स्थान और समय मिले.’

इस महोत्सव में संघ और बीजेपी के अलावा कांग्रेस और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी भी इस विचार-विमर्श में शामिल हो रही है. अतः यह नहीं कहा जा सकता की यह आयोजन सिर्फ दक्षिणपंथी विचारधारकों का है.

6 साल पहले शुरू हुआ था मीडिया महोत्सव

छह साल पहले मीडिया से जुड़े लोगों का जुटान भोपाल में हुआ था. तब से जो सिलसिला शुरू हुआ वह निरंतर जारी है. मीडिया चौपाल की शुरुआत वर्ष 2012 में भोपाल में हुई. इसके बाद चौपाल का आयोजन दिल्ली, हरिद्धार, चित्रकूट, ग्वालियर और भोपाल में किया गया. हर बार स्पंदन संस्था की भूमिका संयोजन और समन्वय की ही होती है.

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नव नियुक्त वीसी और इंडिया टुडे हिंदी के पूर्व संपादक, जगदीश उपसाने ने बताया, ‘वर्तमान में मीडिया के सामने एक बड़ी चुनौती है. हम एक ऐसे युग में हैं जहां प्रिंट, प्रसारण और डिजिटल पत्रकारिता पर काम चल रहा है. डिजिटल टेक्नोलॉजी और इंटरनेट ने आज न्यूज़रूम में काम करने में पूरी तरह से क्रांति ला दी है. सोशल मीडिया एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है और अब वह दिन दूर नहीं है जब वर्चुअल न्यूज़रूम होगा. इस प्रकार के मीडिया सेमिनार स्वयं को समृद्ध करने में प्रतिभागियों की मदद करेगा.’

मीडिया महोत्सव दो दिन और लगभग आठ सत्रों में संपन्न होगा. इन सत्रों में भारत की सुरक्षा के विविध आयाम और जनसंचार माध्यमों से संबंधित विभिन्न मुद्दों जैसे भारत की सुरक्षा: देश, काल, परिस्थिति के परिप्रेक्ष्य में, साइबर एवं डिजिटल युग में व्यक्ति, परिवार एवं समाज की सुरक्षा, पंथ, संप्रदाय और मजहब की सुरक्षा : राजनीति और मीडिया की नजर में, भारत की सुरक्षा : मीडिया, विज्ञान और टेक्नॉलाजी, सभ्यतागत और सांस्कृतिक सुरक्षा की चुनौतियां आदि पर गंभीर विमर्श होगा.