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आरुषि मर्डर केस: पूरा मामला समझना चाहते हैं तो पढ़िए 5 बातें

कोर्ट में अब इस बात की लड़ाई चल रही है कि आरुषि के माता-पिता उसके कातिल हैं या नहीं

FP Staff

मई 2008 में जब आरुषि का मर्डर हुआ तो पहला शक नौकर हेमराज पर गया. लेकिन दूसरे दिन उसकी भी लाश बरामद हो गई. फिर नौकरों पर शक गया तो उन्हें भी क्लीनचिट दे दी गई. जब नौकरों को क्लीनचिट दी गई तो अगला शक खुद आरुषि के मां-बाप पर गया. जो आजतक बरकरार है. कोर्ट में अब इस बात की लड़ाई चल रही है कि आरुषि के माता-पिता उसके कातिल हैं या नहीं. आज इसी बात पर फैसला भी आना है. लेकिन इस सब के बीच कुछ बातें ऐसी भी हैं जो इस केस से जुड़ी हैं लेकिन उन्हें या तो पीछे छोड़ दिया गया है या छूट गई है.

- नौकर हेमराज का फोन किसने उठाया और वो चंडीगढ़ कैसे पहुंचा, इस बात की जांच नहीं की गई है. ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट डॉक्टर वाया ने किया और उनकी जांच में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया कि आरुषि के मर्डर में डॉक्टर राजेश या नूपुर सीधे या किसी और तरीके से उनके मर्डर में शामिल थे.


डॉ. वाया के अनुसार नौकरों की जांच में ये सामने आया था कि वह मर्डर में शामिल थे. लेकिन जांच में इसे भी शामिल नहीं किया गया. डॉ. दोहरे और डॉ. नरेश राज ने जांच के बाद कहा कि आरुषि के प्राइवेट पार्ट में कुछ भी असामान्य नहीं मिला. लेकिन सीबीआई की दूसरी टीम के जांच अधिकारी कौल के हाथ में जांच जाते ही वह अपने बयान से बदल गए.

हत्या डॉक्टरी यंत्र या गोल्फ स्टिक से हुई है?

- डॉ. दोहरे ने आरुषि का पोस्टमार्टम करने से पहले कभी किसी महिला के शरीर का पोस्टमार्टम नहीं किया था. महिला शरीर का पोस्टमार्टम करने का उन्हें कोई अनुभव नहीं था. डॉ. दोहरे और नरेश ने जांच में कहा था कि हो सकता है कि मर्डर खुखरी से हुआ है. और खुखरी कृष्णा के कमरे से मिली थी. लेकिन जांच में इसे शामिल नहीं किया गया. कौल ने अपनी जांच में कहा कि हत्या डॉक्टरी यंत्र या गोल्फ स्टिक से हुई है. कौल ने कई बार हत्या में शामिल हो सकने वाले हथियार को बदला.

- गांधी नगर एफएसएल लैब के उपनिदेशक एमएस दाहिया के अनुसार आरुषि और हेमराज की हत्या एक ही कमरे में हुई. लेकिन कातिल ने हेमराज का खून तो साफ कर दिया लेकिन आरुषि का नहीं किया. जांच के अनुसार आरुषि के कमरे से हेमराज का वीर्य, खून या अन्य किसी तरह का जैविक द्रव्य नहीं मिला था.

- कौल ने जब अक्टूबर 2010 को तलवार के ड्राइवर उमेश के बयान दर्ज किए तो वह कान के फटे हुए पर्दे के साथ रोता हुआ बाहर आया. कौल ने बयान अंग्रेजी में दर्ज किए और उमेश को अंग्रेजी आती ही नहीं थी.