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संसदीय समिति ने केंद्र को लताड़ा, पूछा जरूरी कार्यक्रमों को लागू करने में सुस्ती क्यों?

समिति ने कहा कि सरकार को अपने काम में चुस्ती लानी चाहिए और उन मुद्दों को सुलझाना चाहिए जिसके कारण जरूरी योजनाओं के क्रियान्वन में सुस्ती बर्ती जा रही हैं

Bhasha

प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वच्छ भारत मिशन सहित केंद्र के कई महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों को लागू कराने में ‘सुस्ती’ पर एक संसदीय समिति ने सरकार को लताड़ लगाई है. समिति ने सरकार से कहा है कि वह अपने काम में फुर्ती लाए और मुद्दों को जल्द सुलझाए.

समिति ने कहा कि आवासीय और शहरी मामलों का मंत्रालय प्रतिष्ठित जरूरी कार्यक्रमों के मामले में खर्च की गई राशि के लेखे-जोखे में प्रक्रियागत देरी के बहाने बना रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि लोगों से किए गए वादों पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया है.


शहरी विकास संबंधी स्थाई समिति ने पिछले हफ्ते सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर अपनी 23वीं रिपोर्ट सौंपी. इस साल मार्च में समिति ने लोकसभा में पेश की गई 22वीं रिपोर्ट में कुछ सिफारिशें की थीं.

रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने समिति को बताया कि केंद्र सरकार राज्य की योजनाएं मंजूर करती है और राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और शहरों को सहायता देती है. जिनकी परियोजनाएं उन्हीं की ओर से डिजाइन, मंजूर और अमल में लाई जाती हैं.

पिछली रिपोर्टम में मापदंड को बताया था गलत

सरकार ने समिति की 22वीं रिपोर्ट में की गई सिफारिशों में कहा था कि धनराशि जारी किया जाना और उनका इस्तेमाल करना सामान्य वित्तीय प्रक्रिया का हिस्सा है. ताकि सही अकाउंटिंग की जा सके. समिति के मुताबिक यह किसी उद्देश्य के क्रियान्वयन की तेजी और प्रगति को मापने का सही जरिया नहीं है.

बहरहाल, समिति सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई. समिति ने कहा, ‘उन्होंने (मंत्रालय ने) उन पैमानों को स्पष्ट नहीं किया है. जिसे इन सार्थक परियोजनाओं के क्रियान्वयन की प्रगति के लिए मानदंड माना जाए.’ समिति ने कहा कि सरकार को अपने काम में चुस्ती लानी चाहिए और उन मुद्दों को सुलझाना चाहिए जिसके कारण केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं सुस्ती से क्रियान्वित की जा रही हैं.