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नोटबंदी के बाद पुराने नोटों के दान से मंदिर हुए अमीर

सरकार ने कहा है कि भक्तों द्वारा मंदिरों में जमा कराई गई राशि पर कर नहीं लगेगा.

IANS

नोटबंदी से आम आदमी को जितनी भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हो लेकिन इसने भारतीय मंदिरों को काफी अमीर बना दिया है. नोटबंदी के बाद हुंडी जमा और गलत तरीके से कमाई गई मुद्राओं में वृद्धि देखी गई है. ये नोट अभी हुंडी में या दान बक्सों में रखे जा रहे हैं. केवल कुछ मंदिरों में सख्ती से लोगों को इन नोटों को लेने से इनकार किया जा रहा है.

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने आईएएनएस से बताया, ‘मंदिरों के लिए यह छूट है कि यदि राशि दान बक्से के जरिए आती है तो हम सवाल नहीं करेंगे. इस तरह की जमा राशि के लिए कोई सीमा नहीं है.’


चैरिटेबल ट्रस्ट को मंदिरों के नियम बनाए रखने होंगे, हालांकि उन्हें सीधे दान देने वाले श्रद्धालुओं के लेनदेन का उचित रिकॉर्ड रखना होगा.

देश के सबसे धनी मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि टीटीडी इन नोटों को बैंक में जमा कर रहा है, क्योंकि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि भक्तों द्वारा मंदिरों में जमा कराई गई राशि पर कर नहीं लगाया जाएगा.

मंदिर के अधिकारी ने बताया, ‘नोटबंदी से पहले ही इस वित्त वर्ष में कुल राजस्व 2,600 करोड़ रुपये में से हुंडी संग्रह से करीब एक हजार करोड़ रुपये (14.6 करोड़ डॉलर) आने की उम्मीद थी. यह लक्ष्य नोटबंदी से पार होने की संभावना है.’

वहीं, विजयवाड़ा के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर में हुंडी दान में नोटबंदी से एक करोड़ रुपये से ज्यादा वृद्धि हुई है.

मंदिर प्रबंधन समिति ने बताया, मंदिर ने 2.89 करोड़ रुपये मौजूदा महीने में प्राप्त किए हैं, यह सामान्य संग्रह से पहले ही एक करोड़ रुपये ज्यादा है. इसमें एक हजार के 2,941 और पांच सौ के 15,723 नोट शामिल हैं. भक्तों ने 2,000 रुपये के 48 नए नोट हुंडियों में डाले हैं.

चेन्नई के टीटीडी मंदिर में भी हुंडी प्रस्ताव में अचानक भारी वृद्धि आई है. एक अधिकारी ने कहा कि सामान्य हुंडी संग्रह हर महीने करीब एक करोड़ रुपये है, लेकिन नोटबंदी के बाद यह संग्रह दो करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है.

कुछ मंदिरों ने लोगों को नोटबंदी के नोटों को नहीं दान करने के लिए कोई नोटिस नहीं दिया है. वहीं, कुछ बड़े मंदिरों ने भक्तों को दान बक्सों में पुराने नोट डालने से मना किया है.

इस्कान के राष्ट्रीय संचार निदेशक, वी. एन. दास ने आईएएनएस से कहा, ‘हम चैरिटेबल ट्रस्ट हैं, हम दस्तावेजी दान के लिए पुराने नोट नहीं ले रहे हैं. इसका कड़ाई से पालन किया जा रहा है. नोटबंदी के बाद से हमने दान बक्सों को खोल दिया और वहां जो भी पुराने नोट थे, उन्हें जमा कर दिया है.’

स्वर्ण मंदिर सहित पंजाब के गुरुद्वारों के प्रबंधक, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को 10 नवंबर से स्वीकार करने से मना कर दिया है.

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