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गिरफ्तार कार्यकर्ता ने ‘राजीव गांधी जैसी घटना’ की बात की थी: पुलिस

पिछले साल 31 दिसंबर को एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच के तहत यह छापेमारी की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि पांचों को छह सितंबर तक घर पर नजरबंद रखा जाना चाहिए

Bhasha

महाराष्ट्र पुलिस ने शुक्रवार को दावा किया कि गिरफ्तार किये गए वामपंथी कार्यकर्ताओं के माओवादियों से संबंध होने के बारे में ‘ठोस सबूत’ हैं. उन्होंने कहा कि उनमें से एक ने मोदी-राज को समाप्त करने के लिए राजीव गांधी जैसी घटना’ की बात की थी.

महाराष्ट्र पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून व्यवस्था) परमवीर सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया कि गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में से एक रोना विल्सन और एक माओवादी नेता के बीच एक ई-मेल पत्र में राजीव गांधी जैसी घटना के जरिए ‘मोदी राज’ खत्म करने के बारे में कहा गया है.


रोना जैकब विल्सन को इस साल जनवरी में महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा के संबंध में जून में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने सक्रिय और भूमिगत माओवादियों के बीच आदान-प्रदान किए गए ‘हजारों पत्रों’ को जब्त किया है.

पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को कई राज्यों में प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे थे और इनमें से पांच को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में वरवरा राव, वेरनन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा शामिल हैं.

पिछले साल 31 दिसंबर को एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच के तहत यह छापेमारी की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि पांचों को छह सितंबर तक घर पर नजरबंद रखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पत्र में ग्रेनेड लांचर,राइफल्स और चार लाख गोलियां खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपए की जरूरत पड़ने का भी जिक्र है.

सिंह ने बताया, 'रोना द्वारा माओवादी नेता 'कॉमरेड प्रकाश' को लिखे पत्र में कहा गया है: हमें यहां की वर्तमान स्थिति के संबंध में आपका आखिरी खत मिल गया है. अरुण (फरेरा), वेरनन (गोन्जाल्विस) और अन्य शहरों में चल रही मुहिम को लेकर समान रूप से चिंतित हैं.'

उन्होंने कहा कि पत्र में प्रकाश से अपना फैसला बताने को भी कहा गया. सिंह ने पत्र के हवाले से कहा, 'कॉमरेड किसन और कुछ अन्य कॉमरेड ने मोदी राज खत्म करने के लिए कुछ ठोस कदमों का प्रस्ताव दिया है. हम राजीव गांधी (हत्याकांड) जैसी ही अन्य घटना के बारे में सोच रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के बीच आदान-प्रदान हुए कुछ पत्रों में 'कुछ बड़ा कदम' उठाने की योजना बनाने के बारे में भी कहा गया है, ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके. सिंह ने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जी एन साईबाबा को भी इसी तरह के सबूतों के आधार पर 2014 में गिरफ्तार किया गया था.

सिंह ने कहा, ‘पुलिस ने इन लोगों (कार्यकर्ताओं) के खिलाफ कार्रवाई करने का कदम केवल तब उठाया जब हमें पूरा विश्वास था कि इन सक्रिय और भूमिगत माओवादियों के बीच स्पष्ट संबंध हैं.’