मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील का असर जुमे की नमाज में भी नहीं हुआ. जिसमें पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के समर्थन में आचार संहिता को जुमे की नमाज के खुतबे में पढ़ने की अपील का असर नदवा की मस्जिद में भी नहीं हुआ, जहां बैठकर बोर्ड के शीर्ष पदाधिकारियों ने इस संहिता को तैयार किया था.
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पिछले रविवार को तलाक के सिलसिले में एक आचार संहिता जारी करके सभी इमामों से अपील की थी कि वे जुमे की नमाज से पहले के भाषण में खासतौर पर इस संहिता को पढ़कर सुनाएं.
वह अपील जारी होने के बाद शुक्रवार को पहला जुमा था. माना जा रहा था कि प्रदेश के तमाम शहरों में इस आचार संहिता को खुतबे के दौरान पढ़कर सुनाया जाएगा, मगर खुद नदवा की मस्जिद में ही इसका जिक्र नहीं हुआ.
बोर्ड के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी का कहना है कि आचार संहिता के पर्चे सभी इमामों तक नहीं पहुंचे हैं, इसलिए उनकी चर्चा नहीं हुई. धीरे-धीरे यह बात पूरे देश के इमामों तक पहुंच जाएगी.
अपील के बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा
उस्मानी ने कहा कि उनके बदायूं शहर की मस्जिदों में तलाक को लेकर बोर्ड द्वारा जारी आचार संहिता का जिक्र किया गया है और बोर्ड की तरफ से जगह-जगह जलसे आयोजित करके भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
इस बारे में, बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी से बात करने की कोशिश की गयी लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.
बोर्ड ने गत 15-16 अप्रैल को नदवा में आयोजित अपनी कार्यकारिणी की बैठक में तलाक को लेकर आचार संहिता तैयार की थी. बैठक में पारित प्रस्ताव में तमाम उलमा और मस्जिदों के इमामों से अपील की गई थी कि वह इस आचार संहिता को जुमे की नमाज के खुतबे में नमाजियों को जरूर पढ़कर सुनाएं और उस पर अमल करने पर जोर दें.
मालूम हो कि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने तीन तलाक की व्यवस्था को खत्म करने से इनकार करते हुए शरई कारणों के बगैर तीन तलाक देने वाले मर्दो के सामाजिक बहिष्कार की अपील की है. हालांकि तीन तलाक का विरोध कर रहे संगठनों ने इसे नाकाफी बताया है.