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इस्लाम में नाजायज़ है टेस्ट ट्यूब बेबी और 'रेप' के बराबर है सेरोगेसी

मुफ़्ती मोहम्मद सलीम नूरी कहते हैं कि टेस्ट ट्यूब बेबी नहीं बल्कि इसका तरीका इस्लाम के मुताबिक नाजायज़ हो जाता है

FP Staff

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात में हुई एक बैठक के बाद टेस्ट ट्यूब बेबी और सरोगेसी जैसे तरीकों से बच्चे पैदा करने को नाजायज़ करार दे दिया गया है. इस बैठक में छह प्रस्ताव पारित किये गए हैं जिसमें सेरोगेसी को पूरी तरह नाजायज़ जबकि टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक से बच्चा पैदा करने के लिए एक ख़ास तरीका जायज़ बताया गया है.

क्यों है नाजायज़ टेस्ट ट्यूब बेबी


इस बारे में बरेली के दारुल इफ्ता मंजर ए इस्लाम दरगाह के मुफ़्ती मोहम्मद सलीम नूरी कहते हैं कि टेस्ट ट्यूब बेबी नहीं बल्कि इसका तरीका इस्लाम के मुताबिक नाजायज़ हो जाता है. सलीम के मुताबिक टेस्ट ट्यूब बेबी अगर वाइफ के एग और हसबेंड के स्पर्म के जरिए विकसित किया जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं है. हालांकि स्पर्म या फिर टेस्टट्यूब में विकसित किया गया भ्रूण इंजेक्ट करते हुए परदे का ख्याल रखना ज़रूरी है. कोई गैर मर्द अगर इस प्रक्रिया को अंजाम दे रहा है तो ये गैर इस्लामिक है. ये प्रक्रिया किसी महिला या फिर पति के द्वारा ही पूरी की जानी चाहिए.

सलीम बताते हैं कि इस्लाम में परदे का काफी महत्त्व है ऐसे में औरत पति के अलावा किसी और मर्द के सामने शरीर के ख़ास अंगों का प्रदर्शन नहीं कर सकती. इसके आलावा मर्द अगर बच्चा पैदा करने लायक नहीं है या फिर औरत के शरीर में एग नहीं बन रहे हैं तो लोग डोनेशन के ज़रिए बच्चा पैदा करते हैं. ऐसा करना नाजायज़ है और इस्लाम के मुताबिक हराम है. गैर औरत के एग या फिर गैर मर्द के स्पर्म के जरिए बच्चा पैदा करना इस्लाम में बलात्कार के बराबर माना जाता है.

सेरोगेसी

मुफ़्ती सलीम के मुताबिक सेरोगेसी तो पूरी तरह नाजायज़ है क्योंकि इसमें या तो आदमी स्पर्म और औरत के एग के जरिए टेस्ट ट्यूब बेबी बनाकर या फिर डायरेक्ट स्पर्म इंजेक्ट करके औरत को प्रेग्नेंट करते हैं. यहां तो दोनों ही स्थितियों में इस्लाम के मुताबिक बलात्कार जैसी स्थिति हो जाती है. इसे शरीया जुर्म माना जाता है.

अगर ऐसा किया तो क्या होगा

हालांकि सलीम कहते हैं कि कई लोग अनजाने में ऐसा कर लेते हैं और उन्हें सज़ा देने की जगह इलाम में माफ़ी का प्रावधान है. जो मुसलमान अनजाने में ऐसे बच्चे पैदा कर चुके हैं वो ये बिलकुल भी न समझें कि उनकी औलाद हराम है. औलाद नहीं सिर्फ ये प्रक्रिया हराम मानी गई है. अगर ऐसा हो भी गया है तो इस्लाम में तौबा करने की सुविधा है. ऐसे लोगों को दान और पुण्य के जरिए अल्लाह से माफ़ी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि ऐसा करने से इस्लाम से ख़ारिज हो जाते हैं वो सभी गलत हैं.

(न्यूज18 के लिए अंकित फ्रांसिस की  रिपोर्ट)