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आतंकियों द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल पर लगे रोक: जयशंकर

आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई समूचे भौगोलिक और सांस्कृतिक स्तर पर समान होनी ही चाहिए

Bhasha

भारत ने कहा है कि आतंकवाद फैलाने में इंटरनेट के इस्तेमाल पर दुनिया को नई नीति बनाने की जरूरत है. कट्टरता फैलाने और आतंक के फंडिंग के लिए आतंकवादियों की ओर से इंटरनेट के इस्तेमाल के बढ़ते जोखिम से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई की जरूरत है.

शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में ‘आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक’ विषय पर ब्रिटेन और इटली की मेजबानी में एक उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान विदेश सचिव एस. जयशंकर ने यह टिप्पणी की.


जयशंकर ने कहा, ‘बड़े आतंकवादी हमलों के प्रभाव को कम करने के लिए इंटरनेट के आधार, अहम इंटरनेट संसाधन और आंकड़ा संकलन केंद्रों को अलग-अलग होना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई समूचे भौगोलिक और सांस्कृतिक स्तर पर समान होनी ही चाहिए. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अलग-अलग मानक स्वीकार्य नहीं हैं.’

कट्टरता के प्रसार, किसी के मन मस्तिष्क को प्रभावित करने, आतंकियों की भर्ती और आतंक के वित्त पोषण के लिए इसका इस्तेमाल अब तक अच्छी तरह सिद्ध हो चुका है. ऐसी स्थिति में हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते.

फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर और यूट्यूब भी इससे सहमत 

अपनी टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि इस दिशा में ग्लोबल इंटरनेट फोरम टू काउंटर टेररिज्म (जीआईएफसीटी) एक उत्साहजनक प्रगति है. आतंकियों द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल एक वैश्विक मुद्दा है जिसके लिए नए, अंतरराष्ट्रीय समाधान की आवश्यकता है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर इस बैठक में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और इटली के प्रधानमंत्री पाओलो जेंटीलोनी समेत उद्योग जगत और कई देशों से नेताओं ने हिस्सा लिया.

जीआईएफसीटी के नेताओं की तरह ही फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर और यूट्यूब ने भी कट्टरता फैलाने, आतंकियों की भर्ती, दुष्प्रचार फैलाने के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल को रोकने और अपने यूजर्स को ऑनलाइन आतंकियों और हिंसक चरमपंथ फैलाने वालों से बचाने के साझा लक्ष्य पर जोर दिया.