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चार्जशीट के बाद भी इस्तीफा नहीं देंगे तेजस्वी यादव?

लालू यादव के विश्वस्थ सूत्रों से मिल रही खबरों के मुताबिक यही लग रहा है

Kanhaiya Bhelari

पारिवारिक अग्रजों से विमर्श करने के बाद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ‘किसी भी स्थिति’ में पद से इस्तीफा नहीं देने का मन बना लिया है. वैसे, लालू के छोटे पुत्र ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में शुक्रवार को ही रोष में ऐलान कर दिया था कि ‘नहीं देंगे इस्तीफा. किस बात पर दें इस्तीफा’.

शनिवार सुबह वरिष्ठ और विश्वस्थ राजद नेताओं से बातचीत के बाद लालू प्रसाद ने भी क्लियर कर दिया है कि क्रिमीनल केस दर्ज होने के बाद भी तेजस्वी यादव को मंत्री पद से इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है. लालू प्रसाद ने तेजस्वी का बचाव करते हुए कहा कि ‘जब रेलवे का होटल 2005 में लीज पर दिया गया था उस समय तेजस्वी माइनर था. उस केस में वो कहीं से भी शामिल नहीं है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह के इशारे पर सी बी आइ ने जान बुझकर उसको फसाया है’.


फ़र्स्टपोस्ट हिंदी को मिली जानकारी के अनुसार लालू प्रसाद के परिवार का कोई सदस्य इस्तीफे का पक्षधर नहीं है. लालू कुनबे के विश्वस्त सूत्र ने बताया कि ‘साहब के परिवार का सर्वसम्मत निर्णय है कि एफआईआर दर्ज होने की बात छोड़िए, अगर सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर देगी तो हमारे कुल का एक भी अनमोल रत्न रिजाइन नहीं करेगा’. अब सीएम नीतीश कुमार को जो भी फैसला लेना हों लें. इसके लिए वो स्वतंत्र हैं.

ये सुझाव है लालू प्रसाद के परिवार की एक दबंग महिला सदस्य का. इस्तीफे की बतकही पर कल से ही वो महिला काफी गुस्से में हैं. घर से रिसकर बाहर आ रही खबरों के मुताबिक खानदान के चिरागों ने भी मॉम और डैड को मौखिक संदेश भी दे दिया है कि ‘किसी के दबाव व कहने पर भी हमलोग कुर्सी का त्याग करने वाले नहीं हैं’.

राजनीतिक खेल अब धीरे-धीरे रोमांचकारी टर्न ले रहा है. सूबे के मुखिया नीतीश कुमार शुक्रवार से ही पटना से 110 किलोमीटर दूर राजगीर के सर्किट हाउस में सो-बैठकर लालू प्रसाद के घर पड़े सीबीआई के छापे से पनपे डेवलपमेंट पर मौन रहकर गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं. डॉक्टरों की सलाह पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. दिन में घनिष्ठ मित्र और जदयू के राज्यसभसा सदस्य रामचन्द्र प्रसाद सिंह के साथ में हल्का-फुल्का घुम फिर लेते हैं. आज भी घोड़ा कटोरा के सैर पर गए थे. सर्किट हाउस में पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी है.

नीतीश कुमार के निर्दशों पर जदयू के प्रवक्ता और दूसरे नेता भी लालू प्रसंग से दूरी बनाए हुए हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ने बताया 'साहब का आदेश है कि लालू जी के प्रकरण पर मुंह नहीं खोलना है. सूचना के अनुसार सीएम 10 जूलाई को वापस पटना लौटने वाले हैं.

बहरहाल, अब क्या होगा? इसी सवाल का जवाब सबको चाहिए. पर, इसका जवाब जानने के लिए सबसे ज्यादा परेशान और बेचैन बिहार के ‘कर्मठ’ सरकारी कर्मचारी और ऑफिसर हैं. क्योंकि राजनीतिक अस्थिरता इन सरकारी मुलाजिमों के काम पर निगेटिव असर डाल रही है. हालांकि, विभिन्न राजनीतिक दल के नेता, कार्यकर्ता, राजनीति में रुचि रखने वाले राज्य के भद्र लोगों के अलावा मीडिया से जुड़े लोग भी परिस्थतिवश उपजे इस यक्ष प्रश्न का जवाब ढूंढने के लिए मानसिक कसरत कर रहे हैं.

कयास लगाया जा रहा है कि छवि के प्रति अलर्ट नीतीश कुमार भी अभी तेजस्वी यादव पर इस्तीफे का दबाव नहीं बनाएंगे. सीएम अंत तक चाहेंगे कि लालू प्रसाद स्वयं उनको छोड़ कर चले जाएं. जो कभी होने वाला नहीं प्रतीत हो रहा है. अगर चार्जशीट के बाद भी तेजस्वी मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तब नीतीश कुमार क्या एक्शन लेंगे, इस पर राजनीतिक विश्लेषकों के विचार में भिन्नता है. लेकिन ये लगभग तय माना जा रहा है कि नीतीश कुमार में मंत्रियों को डिसमिस करने का साहस नहीं आएगा.

तब नीतीश कुमार कोई बहाना ढूंढ लेंगे जिसकी बदौलत सीएम बने रहना पसंद करेंगे. जिस प्रकार राजद के लोग तेजस्वी के डीफेंस में तर्क दे रहे हैं कि चार्जशीट के बाद भी उमा भारती केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बनी हुई हैं, उसी तर्क को जदयू के लोग भी रटना शुरू कर देंगे.

दूसरी तरफ, कुछ ऐसे भी राजनीतिक विश्लेषक हैं जिनका मानना है कि चार्जशीट होने तक नीतीश कुमार वेट करेंगे. ‘छवि और गुड गवर्नेस ही नीतीश कुमार की पूंजी है, जिससे वो किसी कीमत पर समझौता नहीं कर सकते हैं’.

महागठबंधन के भीतर की हलचल पर नजर रखने वालों का कहना है कि जो भी होना होगा दो महीना के अंदर हो जाएगा. जदयू के एक प्रवक्ता ने कहा 'मेरा भविष्यवाणी है कि राजद की प्रस्तावित 27 अगस्त की रैली से पहले बिहार में राजनीतिक भूकंप आएगा जिसमें राजद व कांग्रेस बर्बाद और जदयू आबाद होगा’.