कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हुआ था कि हिंदुस्तान में करोड़ों लोग ब्लू व्हेल चैलेंज से भी खतरनाक गेम खेलते हैं, इसे खेती कहा जाता है. ये मैसेज एक अतिरेक हो सकता है मगर इसके कटाक्ष के पीछे स्याह सच्चाई मौजूद है.
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से आ रही खबर को मानें तो वहां मंगलवार शाम पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को सार्वजनिक रूप से कपड़े उतार कर पीटा. राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने पुलिस चीफ को जांच के आदेश दिए हैं.
खबरों की मानें तो सूखा प्रभावित टीकमगढ़ में कांग्रेस ने जिला कलेक्ट्रेट के सामने एक प्रदर्शन का आयोजन किया था. कांग्रेस नेता यादवेंद्र सिंह के अनुसार पुलिस ने प्रदर्शन खत्म होने के बाद वापस जा रहे किसानों से पहले पूछताछ की फिर उनके कपड़े उतार कर पीटा. बताया जा रहा है कि इनमें से कई किसान प्रदर्शन में मौजूद नहीं थे, वहां से गुजर रहे थे.
जिले के डीएम अभिजीत अग्रवाल और राज्य गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने पुलिस थाने में किसानों के पीटे जाने से इंकार किया है. राज्य गृहमंत्री का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन खबरों को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं.
पिछले कुछ समय में आई खबरों को देखें तो विकास और प्रगति के नाम पर खेती, किसानों को हाशिए पर भेजने के चलन में दिन पर दिन बढ़ोत्तरी हो रही है. बड़ेृ-बड़े कॉर्पोरेट्स को लुभाने के लिए जहां चुनाव के पहले ही तमाम छूट दी जाती हैं. किसानों के लिए सरकारें कहती हैं कि अगर फलां राज्य का चुनाव जीतेंगे तो लोन माफ होगा. बाद में 1 पैसे, 5 रुपए जैसे ऋण माफ कर जुमले पूरे कर दिए जाते हैं.
किसानों की समस्याओं के साथ आम जनता की सहानुभूति दिखावे भर की ही होती है. जब तक ये प्रदर्शन विरोधी नेताओं के खिलाफ हो रहे होते हैं लोग इनकी बात करते हैं. जैसे ही अपने प्रिय नेता या सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन होता है तो लोग तुरंत ही प्रदर्शन के पीछे के औचित्य पर सवाल खड़े करते हैं.
अगर याद हो तो कुछ महीनों पहले ही तमिलनाडु के किसानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था. देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा था जिसने बिना खोज खबर लिए ही ये घोषित कर दिया कि चूंकि किसान तमिलनाडु से दिल्ली आकर प्रदर्शन कर रहे हैं तो ये किसान हैं ही नहीं.