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टीसीएस में शेयरहोल्डर्स का साइरस के खिलाफ वोट, साइरस बोले हुई ‘नैतिक’ जीत

टाटा कंसल्टेंसी के शेयरहोल्डर्स ने टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को कंपनी के डायरेक्टर पद से हटाने के लिए वोटिंग में हिस्सा लिया

FP Staff

टाटा कंसल्टेंसी के शेयरधारकों ने टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को कंपनी के डायरेक्टर पद से हटाने के लिए वोटिंग में हिस्सा लिया.

ये जानकारी मंगलवार को हुए एक जनरल मीटिंग के नतीजों में सामने आई.


इस वोटिंग में भाग लेने वाले 93% टीसीएस के शेयरहोल्डर्स मिस्त्री को हटाने के मत में थे. ये जानकारी टीसीएस ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग के दौरान दी.

थॉम्पसन रॉयटर्स के अनुसार मिस्त्री के खिलाफ की गई वोटिंग किसी भी तरह से आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि सितंबर के अंतिम महीने तक टीसीएस में टाटा संस की हिस्सेदारी 73% थी.

सेल्स के आधार पर टीसीएस भारत का सबसे बड़ा टेक्नोलॉजी फर्म है, जो टाटा ग्रुप के रेवेन्यू और प्रॉफिट का बड़ा सहायक है.

फाइलिंग के अनुसार टीसीएस के संगठन से जुड़े और वोटिंग में हिस्‍सा लेने वाले करीब 43% इंस्‍टीट्यूशनल होल्‍डर्स यानी संस्‍थागत धारक मिस्त्री को हटाए जाने के खिलाफ थे.

इसी तरह दिलचस्प बात ये है कि कि वोटिंग में शामिल होने वाले 78% शेयर धारक, जो न तो कंपनी के प्रमोटर थे न ही संस्‍थागत धारक वे मिस्त्री को हटाए जाने के खिलाफ थे.

मिस्त्री के समर्थन में नारेबाजी

इस विवादास्पद मुद्दे पर कंपनी और छोटे निवेशकों के बीच का तनाव उस समय सबके सामने आ गया जब मिस्त्री के समर्थन में कुछ छोटे शेयर धारक वहां नारेबाजी करने लगे.

कम से कम 38 शेयर होल्डरों ने 150 मिनट लंबी चली ईजीएम की मीटिंग में अपनी बात रखी.

हालांकि, उनमें से बहुत सारे लोगों ने टाटा के पक्ष में अपनी बात रखी, लेकिन जिन चुनिंदा लोगों ने मिस्त्री का समर्थन किया उनकी तारीफ की गई.

दूसरी तरफ, मिस्त्री के दफ्तर ने देर रात एक वक्तव्य जारी कर, इस मुद्दे पर नैतिक जीत का दावा किया है.

‘टीसीएस का करीब 20% शेयर होल्डर एक साथ मिलकर नॉन-प्रमोटर शेयर होल्डर का 70% हिस्सा बन जाता है.’

मिस्त्री के जारी वक्तव्य के अनुसार, ‘इन लोगों ने वोटिंग के दौरान या तो प्रस्ताव के खिलाफ वोट डालकर या फिर वोटिंग में शामिल न होकर मिस्त्री का समर्थन किया.’

अक्तूबर महीने में बोर्डरूम में हुए एक तीखे तख्तापलट में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन के पद से हटा दिया गया था.

टाटा संस, 100 बिलियन डॉलर की कीमत वाली, (स्टील से लेकर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में) बिजनेस करने वाली टाटा समूह की एक प्रमुख फर्म है.

मिस्त्री को हटाए जाने के तुरंत बाद टाटा समूह के मुख्य अभिभावक रतन टाटा को कंपनी का अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया था.

तब से दोनों के बीच एक सार्वजनिक रस्सा-कस्सी जारी है. मिस्त्री अभी भी समूह की कई कंपनियों की बोर्ड मीटिंग में हिस्सा लेते हैं.

टाटा संंस ने इन कंपनियों के सभी शेयर धारकों की मीटिंग बुलाकर मिस्त्री को हटाने के लिए उन्हें वोटिंग में हिस्सा लेने के लिए कहा था.

मिस्त्री की अपील

अगले हफ्ते इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड, टाटा स्टील और टाटा मोटर्स अपने शेयरहोल्डर्स की मीटिंग करने वाले हैं.

टीसीएस के शेयरहोल्डर्स की मीटिंग से पहले मिस्त्री ने कहा, ‘ये आने वाले नतीजों की परवाह किए बगैर सिद्धांत की लड़ाई है.

उनका ये कहना इस बात का परिचायक है कि, उन्हें टीसीएस बाहर किए जाने का अंदाजा पहले से है.

मिस्त्री ने कहा, ‘टीसीएस का भविष्य ही अच्छी शासन नीति और नैतिक व्यवहार पर निर्भर करता है. पिछले कई हफ्तों में, हमने कंपनी में अच्छे शासन की तिलांजलि होते देखा है.’

उनके मुताबिक, ‘उसकी जगह लोगों के निजी मंसूबों, सनक और कल्पनाओं ने ले ली है.’

कंपनी से निकाले जाने के बाद से मिस्त्री ने, टाटा ग्रुप की कॉरपोरेट संचालन नीतियों पर कई बार हमला किया है.

उनके मुताबिक चीजों को बेहतर करने के दिशा में उठाए गए उनके कड़े कदमों की वजह से ही उन्हें कंपनी से बाहर किया गया है.

मिस्त्री ने वोटिंग में शामिल होने वालों से अपील करते हुए कहा, ‘आपकी आवाज को दबाने के लिए चाहे जितना भी जोर लगाया जाए, मैं आप लोगों से अपील करता हूं कि अपनी आत्मा की आवाज सुनकर वोट डालें और ऐसा संदेश दें जो शासन नीतियों में बदलाव लाने को प्रेरित करें.’

अंतरिम चेयरमैन ईशात हुसैन के खुद को अलग-थलग करने के बाद, कंपनी के स्वतंत्र निदेशक अमन मेहता ने मीटिंग की अध्यक्षता की.

मेहता ने इस दौरान कहा, ‘मिस्त्री ने कंपनी के उस प्रमोटर समूह (टाटा सन्स, टाटा ट्रस्ट) का भरोसा और विश्वास खो दिया है जिन्होंने उन्हें नियुक्त किया था. इसलिए टीसीएस के लिए ये जरुरी है कि वे कंपनी से विदा लें.’

अपनी बात को दृढ़ता से रखते हुए मेहता ने कहा, ‘इस पूरे प्रकरण का मूल मुद्दा ‘प्रदर्शन या क्षमता’ का न होकर, प्रमोटरों का अपने जरिए मनोनीत चेयरमैन पर विश्वास और भरोसा खोने  का है.’

मेहता जोड़ते हैं, ‘टीसीएस के स्वतंत्र चेयरमैन इस मुद्दे पर कई बार अलग से मिल चुके हैं और उन्होंने पूरे मुद्दे पर विस्तार से सोच-विचार भी किया है.’

मेहता के अनुसार, ‘हमें ये समझ में आ गया है कि इस पूरे मामले का कंपनी के काम-काज में कुछ विपरीत आर्थिक असर भी हो सकता है.’