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तमिलनाडु: NEET परीक्षा के नियमों के कारण दलित छात्रा ने की खुदकुशी

अनीता का मानना था कि नीट के नियमों के चलते ग्रामीण इलाकों के छात्रों को नुकसान होगा

FP Staff

तमिलनाडु में मेडिकल की तैयारी कर रही 17 साल की एक दलित छात्रा ने शुक्रवार को खुदकुशी कर ली. इसके पीछे एमबीबीएस में प्रवेश पाने के लिए अनिवार्य किए गए एंट्रेंस एग्जाम ‘नीट’ की नीतियों को दोषी ठहराया जा रहा है.

अरियालुर जिले की अनीता एस ने अपने कई साथियों के साथ नीट के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अनीता का मानना था कि नीट के नए नियमों के चलते ग्रामीण इलाकों से आने वाले छात्रों को नुकसान रहेगा. अनीता खुद भी ऐसी ही बैकग्राउंड से आती थीं. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं.


खुदकुशी से पहले की अनीता की अंतिम वीडियो को देखिए...

अनीता को अपनी 12वीं की परीक्षा में 98 फीसदी नंबर मिले थे जिससे उन्हें मेडिकल में एडमिशन मिल सकता था, मगर नीट लागू होने के बाद एडमिशन की प्रक्रिया बदल गई. नीट में मिले 86 फीसदी नंबरों के चलते अनीता को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाया. अनीता इसके चलते डिप्रेशन में चली गईं. शुक्रवार को उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

इस घटना के बाद से तमिलनाडु के छात्रों में गहरा रोष है. अलग-अलग छात्र संगठनों ने इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है. शुक्रवार शाम चेन्नई में विरोध कर रहे कुछ छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. दलितों से जुड़ी राजनीतिक पार्टियों ने भी इस मामले को तूल देना शुरू कर दिया है.

एआईएडीएमके की प्रवक्ता सीआर सरस्वती ने इस पूरे मामले का दोष मुख्यमंत्री ई पलनिसामी और केंद्र सरकार पर डाला है. जबकि एआईएडीएमके ही दूसरे नेताओं का कहना है कि उन्होंने नीट से छूट पाने का प्रयास तो किया पर सफल नहीं हो पाए. मुख्यमंत्री की तरफ से अनीता के परिवार को सात लाख रुपए की मदद देने की घोषणा की गई है.

विपक्षी पार्टी डीएमके की राज्यसभा सांसद कनीमोझी ने इसका दोष केंद्र सरकार पर डाला है.