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तैमूर नाम नहीं, हमें खुद को बदलने की जरूरत है

हमें समझना होगा कि छोटे बच्चे के नाम से भारतीय परंपरा, संस्कृति और विरासत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

Bikram Vohra

मुसलमानों से डरने वाले सोचते हैं कि हर दाढ़ी वाला शख्स आपका प्लेन हाईजैक करने वाला है. मुस्लिमों से डर का यह माहौल पश्चिम में पहुंच चुका है.

कंप्यूटरों में ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो नाम में से मुस्लिम शब्दों को ढूंढते हैं. मसलन, अगर आपका नाम विक्रम है, तो इसमें इकरम देखा जा सकता है.


या अगर नाम गीतांजलि है तो इसमें अली की पहचान हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो आपको पूछताछ के लंबे दौर से गुजरना पड़ सकता है.

इसी वजह से डोनाल्ड ट्रंप पूरी मुस्लिम कौम से नफरत करते हैं.

यह ऐसा नहीं है कि किसी ने अपने बच्चे का नाम तैमूर रखा क्योंकि उसे अचानक यह पता चला कि तैमूर एक हमला और बर्बर शासक था.

किसी फिल्मस्टार के अपने बच्चे का नाम रखने को लेकर हमारे अंदर असंवेदनशीलता नहीं हो सकती. लेकिन यह एक बड़ा सामाजिक मुद्दा है और यह हमारी आस्था पर चोट करता है.

क्या ये इतना बड़ा मुद्दा है?

दुनिया में हर तरफ कोहराम मचा हुआ है. एंबेसडर की हत्या हो जाती है. अलेप्पो में नरसंहार हो रहा है. सैकड़ों लोगों से भरी बोट समुद्र में डूब जाती हैं. ट्रक के जरिए हो रहे टेरर अटैक में बेगुनाह लोगों को कुचल दिया जाता है. हमारे बॉर्डर पर आए दिन घटनाएं होती हैं.

लेकिन बड़ी स्टोरी यह है कि सैफ और करीना ने अपने बच्चे का नाम तैमूर रखकर हमारी भावनाओं को चोट पहुंचाई है.

चलिए इसी पर बात करते हैं. आधे से ज्यादा देश को यह पता नहीं होगा कि तैमूर कौन था. आरएसएस के लोगों के इस मुद्दे को उछालने के बाद ही लोगों ने गूगल किया होगा और तब उन्हें पता चला होगा कि यह क्या बला थी.

यहां तक कि सैफ और करीना को भी शायद यह पता नहीं होगा तैमूर क्या और कौन था. शायद किसी और नाम की तरह से ही उन्होंने यह नाम रख लिया होगा. शायद नाम की आवाज उन्हें पसंद आई होगी. तय-मूर.

हमें इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए था कि उन्होंने अपने बच्चे का नाम क्या रखा है. हमें बच्चे के जन्म पर सैफ-करीना को बधाई देनी चाहिए थी.

मां और बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य की उम्मीद करनी चाहिए थी. लेकिन इसके उलट हम उनके एक सुरक्षित जन्म देने के सुख को छीनने की कोशिश कर रहे हैं.

और भी हैं नाम

2015 में एक कपल ने अपने बच्चे को अडॉल्फ हिटलर का नाम दिया. एक अन्य ने अपने बच्चे का नाम कैनन रखा. हरलेम में दो बच्चों के नाम विनर और लूजर रखे गए. एक अपराधी बना और एक पुलिसवाला.

शैतान का एक और नाम लूसिफर है और अमेरिका में यह नाम बहुत सामान्य है.

अपने देश में ही लीजिए. तमिलनाडु में करुणानिधि से किसी ने नहीं पूछा कि उन्होंने अपने बेटे का नाम स्टालिन क्यों रखा.

अपने आप से पूछिए. अपने दिन का सही इस्तेमाल करने की बजाय हम क्यों किसी जोड़े के अपने बच्चे का नाम रखने पर हंगामा खड़ा करने में लग गए. और वह भी तब जबकि इस नाम का आज के दौर में कोई मतलब नहीं है.

अगर एक ही छड़ी से सबको हांकना है तो हमें अकबर, औरंगजेब, विंस्टन (चर्चिल ने कभी भी माउंटबेटन को भारतीय साम्राज्य गंवाने के लिए माफ नहीं किया), नाथू, रावण, देश के 21 अपराधियों की लिस्ट जिसमें दाउद, परमिंदर, तुलसीराम, राजन और लक्ष्मण, मोहन शामिल हैं, जैसों को भी बैन कर देना चाहिए. क्या इन नामों वाले हजारों-लाखों लोगों के लिए मुश्किल हालात पैदा कर दिए जाने चाहिए.

अगर हम इस तरह से सोचते हैं कि किसी ने अपने बच्चे का नाम हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए रखा है, तो निश्चित तौर पर हमारे अंदर ही कुछ खामी है.

यह सब छोड़िए और कपल को शुभकामनाएं दीजिए. उन्हें उनकी जिंदगी जीने दीजिए. ऐसा नहीं है कि एक छोटे बच्चे को तैमूर पुकारने से पूरी भारतीय संस्कृति, विरासत और परंपराएं खत्म हो जाएंगी. हमें थोड़ा समझदार होने की जरूरत है.