केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में इस साल 20 अगस्त तक हजार से भी ज्यादा लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई है. पिछले साल के आंकड़े से यह आंकड़ा चार गुना ज्यादा है.
दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पूरे देश में अब तक स्वाइन फ्लू के लगभग 22 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र में एच1एन1 संक्रमण से सबसे ज्यादा 437 लोग मारे गए हैं.
इन राज्यों में है सबसे ज्यादा प्रकोप
इसके बाद गुजरात में सर्वाधिक 269, केरल में 73 और राजस्थान में 69 लोगों और दिल्ली में लगभग 50 लोगों को इस बीमारी ने लील लिया है.
साल 2017 की जो स्थिति है वह 2015 की स्थिति से भी ज्यादा भयावह लग रही है. साल 2015 में देश में 42 हजार 592 मामले सामने आए थे, जिसमें लगभग तीन हजार लोगों की मौत हो गई थी.
जबकि, साल 2016 में केवल एक हजार 786 मामले दर्ज हुए और 265 मौतें हुई थी. इस साल 20 अगस्त 2017 तक 1 हजार 94 मरीजों की मौत हो चुकी है और 22 हजार 186 मामले दर्ज हो चुके हैं.
महाराष्ट्र में 20 अगस्त तक एच1एन1 संक्रमण के सबसे ज्यादा 4 हजार 245 मामले सामने आए हैं. इसके बाद गुजरात में 3 हजार 29, तमिलनाडु में 2 हजार 994 और कर्नाटक में 2 हजार 956 मामले सामने आए हैं.
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आंकड़े के अनुसार केवल अगस्त महीने में देश भर में 342 लोग मारे गए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 6 लोग मारे गए थे.
2009-10 में आया था इंफ्लूएंजा
देश में 2009-10 में एच1एन1 इंफ्लूएंजा जबरदस्त तौर पर पैर जमाया था. इस बीमारी से लगभग 2 हजार 700 से ज्यादा लोग मारे गए थे और करीब 50 हजार लोग बीमारी के चपेट में आए थे.
स्वाइन फ्लू के नाम से जाना जाने वाला एच1एन1 इंफ्लूएंजा एक बेहद संक्रामक रोग है. यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत तेजी से फैलता है. 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित किया था.
राजधानी के अस्पतालों की हालत खराब
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में केंद्र सरकार के चार अस्पतालों में इस साल 22 अगस्त तक स्वाइन फ्लू से 47 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 22 लोग दिल्ली के थे.
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ही जनवरी से अब तक स्वाइन फ्लू के 100 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें से 23 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में 14 दिल्ली, 7 उत्तरप्रदेश और 2 हरियाणा के मरीज शामिल हैं.
इसी तरह सफदरजंग अस्पताल में भी 28 पॉजिटिव मामले आए. 11 मरीजों की मौत स्वाइन फ्लू की वजह से हुई है.
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में भी स्वाइन फ्लू के 45 मामले पॉजिटिव पाए गए. जिनमें से 12 मरीजों की मौत हो गई. मरने वालों में 4 मरीज दिल्ली के थे. दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भी 211 स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए. इनमें से 3 मरीजों की मौत हो गई.
ये हाल राजधानी के सिर्फ 4 अस्पतालों का है. अगर अब दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा और गुरुग्राम की बात करें तो वहां भी सैंकड़ों मरीज स्वाइन फ्लू के चपेट आकर अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.
दवाइयां गायब
दिल्ली एनसीआर में जहां एक तरफ चिकनगुनिया-मलेरिया और डेंगू से लोगों की लड़ाई पिछले कई सालों से चल रही थी, वहीं अब दिल्ली एनसीआर में स्वाइन फ्लू भी लोगों को परेशान करने लगा है.
एक तरफ स्वाइन फ्लू के मरीजों की बढ़ती संख्या से अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं तो दूसरी तरफ स्वाइन फ्लू की दवाई भी कुछ अस्पतालों से गायब है. लोग प्राइवेट अस्पताल की तरफ जा तो जरूर रहे हैं पर वहां पर भी एच1एन1 का किट डॉक्टरों की पर्ची के बगैर नहीं दिया जा रहा है.
ऐसे में जो लोग एतिआतन स्वाइन फ्लू से बचना चाह रहे हैं या जो लोग मरीज के साथ अस्पताल जा रहे हैं उनको जेब ज्यादा ढ़ीली करनी पड़ रही है.
इस समय यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है कि पूरे देश के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कितने मरीज स्वाइन फ्लू के भर्ती हैं. लेकिन, स्वाइन फ्लू के वायरस की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि स्थिति कितनी भयावह है.