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दिल्ली: स्वाइन फ्लू के मामले बढ़े, ऐसे बचें बीमारी से

2017 में इंडिया में स्वाइन फ्लू इन्फेक्शन और इससे मौतों के मामलों में तेज इजाफा देखा गया

Kangkan Acharyya

दिल्ली में भले ही स्वाइन फ्लू के मामलों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है, लेकिन एक्सपर्ट कहते हैं कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसे ज्यादातर मरीज जिन्हें कोई दूसरी बीमारियां नहीं हैं, उन्हें अस्पतालों में आउटपेशेंट डिपार्टमेंट दवाओं से ही ठीक किया जा रहा है. हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल दिल्ली में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़कर 517 पर पहुंच गए, जबकि जुलाई में ऐसे 351 मामले सामने आए थे. दिल्ली में इस दौरान ज्यादा गर्म और उमस भरा मौसम रहा.

जिन्हें दूसरी बीमारियां नहीं, उन्हें भर्ती करना जरूरी नहीं


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 जुलाई तक दिल्ली में स्वाइन फ्लू के 166 नए मामले सामने आए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि स्वाइन फ्लू से दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में चार लोगों की मौत भी हो गई. लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि केवल ऐसे लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है जिन्हें पहले से कोई बीमारी है. जिनके साथ कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें नहीं हैं, उन्हें भर्ती होने की कोई जरूरत नहीं है.

एक मशहूर फीजिशियन रोमेल टिक्कू फिलहाल मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल साकेत में बतौर कंसल्टेंट काम कर रहे हैं. उन्होंने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘ऐसे मरीज जो डायबिटीज, हॉर्ट प्रॉब्लम्स, ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों की दिक्कतों से गुजर रहे हैं या गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग इन्हें इस बीमारी का ज्यादा खतरा है.’

उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि ऐसे भी मरीज हैं जिन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा है, लेकिन ऐसे मरीजों की संख्या काफी कम है. इसकी बजाय आउटडोर पेशेंट मेडिसिन से ठीक हो जाने वाले मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है.

टैमीफ्लू है मुख्य दवा

फीजिशियन रोमेल टिक्कू ने कहा, ‘युवा पुरुष और महिलाएं जिन्हें कोई दूसरी बीमारियां नहीं हैं, उन्हें तो टैमीफ्लू मेडिसिन भी देने की जरूरत नहीं है.’ उन्होंने कहा कि इन मरीजों को केवल अलग रखने की जरूरत है. उन्होंने बताया, ‘टैमीफ्लू को केवल ऐसे मरीजों को दिया जाता है, जिन्हें तेज बुखार हो या जिनमें इसके तीव्र लक्षण दिखाई दे रहे हों.’

टैमीफ्लू स्वाइन फ्लू के इलाज में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में से एक है. स्वाइन फ्लू के तेजी से फैलने के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ युवा जो कि मेट्रो या इसी तरह के ट्रांसपोर्ट का सहारा आने-जाने में करते हैं उनके इस वायरस के संपर्क में आने के आसार रहते हैं.

सार्वजनिक परिवहन में ट्रैवल करने से संक्रमण का खतरा

साउथ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के स्वास्थ्य अधिकारी अरुण चौहान ने फ़र्स्टपोस्ट से कहा कि स्वाइन फ्लू मुख्यतौर पर कफ और छींक से फैलती है.

मेट्रो जैसे सार्वजनिक परिवहन में अक्सर लोग इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं.

2017 में इंडिया में स्वाइन फ्लू इन्फेक्शन और इससे मौतों के मामलों में तेज इजाफा देखा गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल ही देश में स्वाइन फ्लू से 600 मौतें और 12,500 इन्फेक्शन के मामले दर्ज हुए हैं. यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले दोगुने से भी बड़ा है, उस वक्त देश में इस बीमारी से 265 लोगों की मौत हुई थी.

असामान्य बारिश से फैल रहा वायरस

लोकनायक हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट जे सी पासी ने फ़र्स्टपोस्ट से कहा कि दिल्ली में असामान्य बारिश की वजह से स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा, ‘गर्म और उमस भरे माहौल को हमेशा वायरस के विकसित होने के लिए सुविधाजनक माना जाता है. दिल्ली में स्वाइन फ्लू इन्फेक्शन हमेशा से सीजनल रहा है. लेकिन, इस बार असामान्य बारिश के चलते वायरस ज्यादा तेजी से फैल रहा है.’

मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने कहा कि जरूरी नहीं कि बारिश से दिल्ली का मौसम ठंडा हुआ हो. बल्कि इससे गर्म माहौल में नमी की मात्रा बढ़ जाती है. पासी ने कहा, ‘इस मौसम में वायरस ज्यादा तेजी से फैलता है.’ लोकनायक हॉस्पिटल में इस साल अभी तक स्वाइन फ्लू के 9 मरीजों का इलाज किया गया है.

इस बीमारी के लक्षणों के बारे मं अरुण चौहान ने बताया कि स्वाइन फ्लू में कफ, जुकाम, ठंड लगने और इसके साथ तेज बुखार दिखाई देता है.