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आतंकियों से लड़ते पति हुए थे शहीद, लेफ्टिनेंट बन पत्नी पहुंची सेना में

स्वाति ने सेना से नौकरी मांगने के बजाय पढ़ाई करके एसएसबी एग्जाम पास किया. सभी पांच राउंड क्लियर किए

FP Staff

कर्नल संतोष महादिक की शहादत के वक्त आंसू बहाते हुए पत्नी स्वाति महादिक (32 साल)  ने कहा था अब तो वह भी सेना में जाएंगी. वक्त बीता, लेकिन स्वाति महादिक का जज्बा बरकरार रहा. वह शनिवार को लेफ्टिनेंट बन गईं.

चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में रहते हुए उन्होंने एक साल की कठिन ट्रेनिंग को पासिंग आउट परेड के साथ पूरा किया. स्वाति ने कहा कि 'आर्मी यूनिफॉर्म और यूनिट कर्नल महाडिक का पहला प्यार था. इसीलिए मैंने भी इसे पहनने का फैसला कर लिया. अब पति की तरह आतंकियों से लड़ना चाहती हूं. मेरे खून की हर बूंद आज से देश के नाम है.'


स्वाति ने सेना से नौकरी मांगने के बजाय पढ़ाई करके एसएसबी एग्जाम पास किया. सभी पांच राउंड क्लियर किए. लेकिन उम्र उनके इरादे में बड़ी रुकावट बन रही थी. सेना के नियमों के मुताबिक, 32 साल की उम्र में वो भर्ती नहीं हो सकती थी. स्वाति की इच्छा पर पूर्व आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह ने उन्हें उम्र में छूट देने की सिफारिश की थी.जिसे तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मान लिया था.

कर्नल संतोष महादिक (39 साल) जम्मू-कश्मीर में साल 2015 नवंबर में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे.  नॉर्थ-ईस्ट में ऑपरेशन राइनो के दौरान बहादुरी के लिए उन्हें 2003 में सेना मेडल मिला था. वह महाराष्ट्र के सतारा के रहने वाले थे.

स्वाति ने कहा कि 'पति की शहादत के बाद से मैं सदमे में थी. जब इससे बाहर निकली तो मैंने खुद को पहले से ज्यादा मजबूत महसूस किया. ऐसा लगा कि पति जिस काम पर थे, उसे पूरा करने की जिम्मेदारी मुझे भी लेनी चाहिए. बच्चे अभी छोटे हैं, वो भी सेना में आएं तो मुझे अच्छा लगेगा.'

उनका कहना था कि 'मेरे लिए आर्मी ज्वाइन करना एक इमोशनल फैसला है। जब मैं अपने पति के पार्थिव देह को कुपवाड़ा से सतारा लेकर आ रही थी, तब मेरे अंदर सिर्फ एक विचार चल रहा था. अब जब मैं उनकी ड्रेस पहनती हूं तो उसमें वे मुझे नजर आते हैं.'