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राज्यसभा की मुहर लग गई होती, तो करण जौहर बाप न बन पाते

सरोगेसी से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब

FP Staff

निर्माता-निर्देशक करण जौहर बिना पत्नी के पिता बनने वाले बॉलीवुड के दूसरे सेलीब्रिटी बन गए हैं. उनके दो बच्चों- रूही और यश- के जन्म की घोषणा के बाद से ही सरोगेसी यानी 'किराए की कोख' पर फिर से बहस शुरू हो गई है. करण जौहर के पहले उनकी ही तरह एकता कपूर के भाई और बॉलीवुड स्टार तुषार कपूर ने भी अपना बच्चा पैदा किया था.

पर क्या आपको मालूम है कि अगर राज्यसभा में एक कानून पास हो जाता तो जौहर के लिए इन बच्चों को दुनिया में लाना इतना आसान नहीं रह जाता. जानिए भारत में सरोगेसी से अलग-अलग पहलुओं के बारे में.


क्या है विवाद? 

भारत में सरोगेसी से जुड़े कुछ नए नियम लागू होने वाले हैं. पहले सरोगेसी की जरूरत उन माता-पिता के लिए थी, जो बच्चे को जन्म देने में सक्षम नहीं हैं. लेकिन आजकल सरोगेसी के नए चेहरे सामने आ रहे हैं. इसके विरोधी कहते हैं कि भारत में सरोगेसी ने धंधे का रूप ले लिया था जिसमें गरीब महिलाएं पिस रही थीं.

भारतीय कैबिनेट रेगुलेशन बिल ने 2016 में सरोगेसी से जुड़े नए नियम अगर लागू होते हैं, तो करण जौहर का अपने बच्चों पर से अधिकार खत्म हो सकता है. क्योंकि करण जौहर ने अभी सरोगेट मदर का नाम नहीं बताया है. करण शादीशुदा भी नहीं हैं.

करण जौहर [फोटो: फेसबुक से साभार]सरोगेसी किस तरह से होती है?

सरोगेसी के दो प्रकार हैं. पहला है ट्रेडिशनल सरोगेसी, इस सरोगेसी में सबसे पहले पिता के स्पर्म को एक अन्य महिला के सेल्स के साथ फर्टिलाइज किया जाता है. इस किस्म की सरोगेसी में बच्चे का जैनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है- भ्रूण सा फीटस की देह का बाकी हिस्सा उसकी सरोगेट मां से आता है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि करण जौहर और तुषार कपूर के बच्चों का जन्म इसी तरीके से हुआ है.

दूसरा तरीका है जेस्टेंशनल सरोगेसी. इसमें पिता के स्पर्म और मां के सेल्स का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जाता है. जिसमें बच्चे में मां और बाप दोनों के जींस होते हैं. ऐसा माना जाता है कि शाहरुख़ और गौरी खान का सबसे छोटा बेटा अबराम खान इस तरह से दुनिया में आया है.

इसमें कितना पैसा लगता है? 

भारत में इसकी कीमत 10 लाख से शुरू होती है. ये इससे कहीं ऊपर भी बढ़ सकती है. जबकि इसमें लगने वाली कीमत भारत में और देशों के अनुसार कम है.

यही वजह है कि बहुत सारी सरोगेट मां बनने के लिए राजी होने वाली औरतें केवल पैसे के लिए ऐसा करती हैं. ऐसी भी खबरें पढ़ने में आईं कि ये महिलाएं एक से ज्यादा बार अपनी कोख को किराए पर देने के लिए केवल पैसे के कारण राजी हो गईं.

गर्भ के दौरान महिलाओं को 9 महीने के मेडिकल ट्रीटमेंट में रखना, उसके खाने-पीने का ख्याल रखना सरोगेसी कराने वाले माता- पिता या पिता की जिम्मेदारी होती है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार ये महिलाएं ज्यादातर गरीब होती हैं इसलिए कभी कभी वे बहुत कम पैसों में भी वे सरोगेट बनने के लिए तैयार हो जाती हैं. इसमें उन्हें तेज शारीरिक दर्द का भी सामना करना पड़ता है और एक बाद एक बच्चे पैदा करने में वे बहुत जल्द काफी कमजोर हो जाती हैं.

क्या इस बारे में कोई कानून है?  

भारत में सरोगेसी की कानूनी रूप से इजाजत साल 2002 से लागू है. साल 2002 में (आईसीएमआर) इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने सरोगेसी के तरीके अपनाने का नियम समझाया था.

रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2012 तक कई भारत में सरोगेसी से बच्चे पैदा करने की संख्या में तेजी बढ़ोतरी को देखते हुए, कहा जाने लगा कि ये एक व्यवसाय का रूप ले रही है. दुनिया भर से लोग बच्चों के जन्म के लिए भारत का रुख करने लगे.

अभी कानून की क्या स्थिति है? 

नवंबर 2016 में लोकसभा में एक बिल पारित किया गया जिसके लागू होने के बाद व्यवसायिक सरोगेसी पर पूरी तरह बंद करने का नियम लागू किया जाएगा. इसके साथ ये तर्क दिया जा रहा है कि सरोगेसी की मदद लेने वाले माता पिता को भी साबित करना होगा कि वे खुद के बच्चे को जन्म देने में सक्षम नहीं हैं.

सरोगेट मां का बच्चे पैदा करने के इच्छुक लोगों से पारिवारिक रिश्ता होना जरूरी है. साथ ही सरोगेट मां और बच्चे के जेनेटिक मां-बाप के बीच पैसे के लेनदेन को अवैध करार दिया गया है.

क्या इस कानून के पास होने के बाद जो लोग बच्चे पैदा करना चाहेगें उनका क्या होगा? 

इस कानून के लागू हो जाने के बाद भी अगर किसी को सरोगेसी के जरिए बच्चे चाहिए तो उनका शादीशुदा होना जरूरी है. साथ ही शादी का समय 5 साल से अधिक होना चाहिए.

फिर शादीशुदा जोड़े को यह साबित करना होगा कि वे माता-पिता बनने में सक्षम नहीं हैं, और सरोगेसी के द्वारा प्रेग्नेंट होने वाली महिला का पुरुष के साथ कोई पारिवारिक संबंध का होना भी जरूरी है.