महिलाओं को गर्भपात कराने के लिए अब पति से इजाजत लेने की जरूरत नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय में यह बात सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक तलाकशुदा व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एन. खानविलकर, जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि किसी भी बालिग महिला को बच्चे को जन्म देने और गर्भपात कराने का फैसला लेने का अधिकार है. इस दौरान महिला को इसके लिए पति की सहमति लेना जरूरी नहीं है. यहां तक कि मानसिक तौर पर बीमार पत्नी को भी गर्भपात कराने के लिए पति के इजाजत की जरूरत नहीं.
पति ने लगाए थे ये आरोप
पति ने अपनी याचिका में पूर्व पत्नी के साथ महिला के माता-पिता, भाई और दो डॉक्टरों पर भी 'अवैध' गर्भपात का आरोप लगाया था. याचिकाकर्ता ने बिना उसकी सहमति के गर्भपात कराए जाने पर आपत्ति दर्ज की थी.
पति का कहना था कि पत्नी ने इतने महत्वपूर्ण फैसले में उसकी राय के बिना नहीं ले सकती है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने महिला के हक में फैसला दिया है.
पति और पत्नी पिछले काफी समय से अलग रह रहे हैं. जिस पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पति-पत्नी के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए महिला का गर्भपात कराने का फैसला कानूनी तौर पर सही है.
इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी याचिकाकर्ता की याचिका ठुकराते हुए कहा था कि गर्भपात का फैसला पूरी तरह से महिला का हो सकता है.